एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निजी एयरलाइंस अपनी वेबसाइट पर फ्लाइट में बची सीटों की संख्या और टिकटों की क़ीमतों के बारे में 'ग़लत जानकारी' देती हैं और यात्रियों को ज़्यादा भुगतान के लिए मजबूर करती हैं. समिति ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस बारे में दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि विमान कंपनियां यात्रा के रद्द हुए टिकटों का पूरा पैसा लौटाने की बजाय एक साल तक वैध क्रेडिट सुविधा प्रदान कर रही हैं, जो मई 2008 में जारी नागरिक उड्डयन मानकों का उल्लंघन है.