अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं, उन्हें फटकारने के बजाय पुलिस उन पर कार्रवाई कर रही है, जो इस तरह की घृणित गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पिछले साल दिसंबर में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में 29 जनवरी को डॉक्टर कफील खान को गिरफ्तार किया गया था. 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा करने के बजाय उन पर रासुका लगा दिया गया था.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया. पिछले महीने हाईकोर्ट ने पुलिस हिंसा के आरोपों की जांच के लिए एनएचआरसी को निर्देश दिया था और कहा था कि पांच हफ्ते में वे जांच पूरी करें.
डॉ. कफील खान को 29 जनवरी को महाराष्ट्र से गिरफ़्तार किया गया था. उन्हें ज़मानत मिल चुकी थी लेकिन शुक्रवार को रिहाई से पहले यूपी पुलिस ने उन पर रासुका लगा दी, जिसके चलते उन्हें रिहा नहीं किया गया.
नागरिकता संशोधन कानून और नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ बीते 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी परिसर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को लेकर छात्र समन्वय समिति ने यूनिवर्सिटी के प्रमुख अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की थी.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने डॉ. कफील खान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रति अभद्र टिप्पणी करने, छात्रों को केंद्र सरकार के नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ने के लिए और सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयास का आरोप लगाया है.
हालांकि शरजील ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने आत्मसमर्पण किया है. कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील के ख़िलाफ़ असम, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में मामला दर्ज है.
जेएनयू से पीएचडी कर रहे छात्र शरजील इमाम पर नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. बिहार के जहांनाबाद स्थित घर पर पुलिस ने मारा छापा.
अलीगढ़ पुलिस का आरोप है कि बीते 20 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भीतर नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर ढाल के रूप में नाबालिगों को आगे किया गया था. हालांकि, पुलिस का कहना है कि अभी नाबालिग बच्चों की पहचान की जानी बाकी है और किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पांडेय द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण के संबंध में हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष ने केस दर्ज कराया है.
बीते 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता क़ानून और नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के ख़िलाफ़ हो रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें 100 लोग घायल हुए थे.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बीते 15 दिसंबर को नागरिकता कानून और नई दिल्ली स्थित जामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ हो रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें 100 लोग जख्मी हो गए थे.
संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने बीते 15 दिसंबर को प्रदर्शन किया था, जो हिंसक हो उठा था. इसके बाद विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया था.
वीडियोः नागरिकता कानून के विरोध में 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शन कर रहे छात्रों की उत्तर प्रदेश पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स ने बर्बरता से पिटाई की थी. इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता और घटना की जांच करने वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य हर्ष मंदर के साथ रीतू तोमर की बातचीत.
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने ‘द सीज ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ नाम से यह रिपोर्ट 24 दिसंबर को जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया कि एएमयू में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान छात्रों की पिटाई करते वक्त ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे थे.