पत्रकार जमाल ख़शोगी की हत्या के लिए संभवत: दुनिया ज़िम्मेदार: डोनाल्ड ट्रंप

तुर्की की ओर से कहा गया है कि जमाल ख़शोगी हत्याकांड के प्रति आंखें मूंदना चाह रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. जमाल ख़शोगी की बीते दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल शहर स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी.

सीएनएन ट्रंप के सामने खड़ा हो सकता है, तो भारतीय मीडिया सत्ता से सवाल क्यों नहीं कर सकता?

भारत के ज़्यादातर पत्रकार आज़ाद नहीं हैं बल्कि मालिक के अंगूठे के नीचे दबे हैं. वह मालिक, जो राजनेताओं के सामने दंडवत रहता है.

सीआईए ने जमाल ख़शोगी की हत्या के पीछे सऊदी अरब के शहज़ादे का हाथ बताया: रिपोर्ट

बीते दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दाख़िल होने के बाद से जमाल ख़शोगी लापता हो गए थे. दूतावास में ही उनकी हत्या कर दी गई थी. द वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह तय है कि सऊदी अरब के शहज़ादे के बिना जानकारी या संलिप्तता के यह नहीं हुआ.

ट्रंप को झटका, कोर्ट ने पत्रकार के ह्वाइट हाउस में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाया

बीते दिनों ह्वाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएनएन के पत्रकार के सवाल पूछने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवाब देने के बजाय अभद्रता करते नज़र आए और पत्रकार का प्रेस पास रद्द कर दिया गया था.

समाचार चैनल सीएनएन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ह्वाइट हाउस के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया

ह्वाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएनएन के पत्रकार के सवाल पूछने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवाब देने के बजाय अभद्रता करते नज़र आए और पत्रकार का प्रेस पास रद्द कर दिया गया था, सीएनएन ने इसे लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया था.

क्या भारत कैंसर से लड़ने को तैयार है?

भारत में कैंसर को लेकर कोई ज़िद किसी नेता में नज़र नहीं आती. कैंसर होते ही मरीज़ के साथ पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है. कई संस्थाएं कैंसर के मरीज़ों के लिए काम करती हैं मगर इसे लेकर रिसर्च कहां है, जागरूकता कहां है, तैयारी क्या है?

पत्रकार के सवाल पर उखड़े राष्ट्रपति ट्रंप, ह्वाइट हाउस ने पत्रकार का प्रेस पास रद्द किया

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएनएन के पत्रकार द्वारा सवाल पूछने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवाब देने के बजाय अभद्रता करते नज़र आए. इस पूरे घटनाक्रम को सीएनएन ने लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया है.

मोदी को प्रधान सेवक के साथ भारत का प्रधान इतिहासकार भी घोषित कर देना चाहिए

प्रधानमंत्री इसीलिए आज के ज्वलंत सवालों के जवाब देना भूल जा रहे हैं क्योंकि वे इन दिनों नायकों के नाम, जन्मदिन और उनके दो-चार काम याद करने में लगे हैं. मेरी राय में उन्हें एक मनोहर पोथी लिखनी चाहिए, जो बस अड्डे से लेकर हवाई अड्डे पर बिके. इस किताब का नाम मोदी-मनोहर पोथी हो.

सऊदी अरब ने माना, तुर्की स्थित उसके दूतावास में पत्रकार जमाल ख़शोगी की मौत हो गई

पिछले दो अक्टूबर से लापता थे द वॉशिंगटन पोस्ट में कॉलम लिखने वाले पत्रकार जमाल ख़शोगी. आख़िरी बार तुर्की स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में देखा गया था. पत्रकार की मौत होने की आशंका से सऊदी अरब लगातार कर रहा था इनकार.

लापता पत्रकार जमाल ख़शोगी की कोई सूचना नहीं, इस्तांबुल में सऊदी दूतावास की दोबारा तलाशी

द वॉशिंगटन पोस्ट सहित कई मीडिया इकाइयों के लिए लिखने वाले पत्रकार जमाल ख़शोगी की हत्या होने की आशंका. दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल शहर स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दाख़िल होने के बाद से लापता हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अलग हुआ अमेरिका

इज़रायल के ख़िलाफ़ भेदभाव का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा, ‘लंबे समय से मानवाधिकार परिषद मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का संरक्षक रहा है और राजनीतिक भेदभाव का गढ़ बना रहा है.’

फेसबुक डेटा लीक मामले में भारत के 5.62 लाख लोगों के प्रभावित होने की आशंका

फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया कि भारत में 335 लोगों के ऐप इंस्टॉल करने के कारण उनके दोस्तों के रूप में 5,62,120 अन्य लोगों के प्रभावित होने की संभावना है.

फेसबुक को चेतावनी, क़ानून मंत्री ने कहा- चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की तो होगी कड़ी कार्रवाई

लोगों की व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग के मामले में फेसबुक के ख़िलाफ़ अमेरिका में जांच शुरू. अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या फेसबुक ने उपभोक्ताओं के लाखों आंकड़े एक राजनीतिक परामर्श एजेंसी को दिए थे.

भारत उन छह देशों में शामिल जिनका भरोसा पिछले एक साल में सर्वाधिक घटा: सर्वे

सर्वे के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पहली बार मीडिया सबसे कम भरोसेमंद संस्थान बना. भरोसे में सर्वाधिक कमी के मामले में अमेरिका अव्वल रहा.

क्या नेताजी के ज़िंदा होने की ख़बर नेहरू को घेरने के लिए फैलाई गई थी?

लोगों को यक़ीन दिलाया गया कि नेताजी इसलिए भूमिगत रहे क्योंकि नेहरू ने ब्रिटिश सरकार से गुपचुप समझौता किया था कि अगर नेताजी कभी जीवित मिलते हैं तो उन्हें एक युद्ध अपराधी के रूप में तत्काल ब्रिटेन को सौंप दिया जाएगा.