विकीपीडिया के पेज पर एएनआई के बारे में लिखा है कि एजेंसी की 'मौजूदा केंद्र सरकार के लिए प्रोपगैंडा माध्यम के रूप में काम करने, फ़र्ज़ी न्यूज़ वेबसाइट के विशाल नेटवर्क के कंटेंट को फैलाने और घटनाओं की ग़लत रिपोर्टिंग करने के लिए आलोचना होती रही है.'
द वायर की पड़ताल में सामने आया है कि राजस्थान सरकार के कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग का ठेका पाने वाली एएनआई के अलावा जिन दो कंपनियों ने इसके लिए बोली लगाई थी, उन दोनों के निदेशक भी वही लोग हैं जो एएनआई मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार मतदान समाप्त होने से पहले के 48 घंटे में किसी भी रूप में चुनावी सामग्री के प्रदर्शन पर पाबंदी है, इसमें वोटर को प्रभावित करने वाले टीवी या अन्य किसी माध्यम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक ऐसा ही किया है.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई है. इस सवाल को रैली में कितने लोग आए, कितने नहीं आए इसे लेकर ज़्यादा बहस की ज़रूरत नहीं. सुरक्षा इंतज़ामों में पंजाब सरकार की भूमिका हो सकती है लेकिन यह एसपीजी के अधीन होती है. प्रधानमंत्री कहां जाएंगे और उनके बगल में कौन बैठेगा यह सब एसपीजी तय करती है. इसलिए सबसे पहले कार्रवाई केंद्र सरकार की तरफ से होनी चाहिए.
फैक्ट-चेक: टीवी9 भारतवर्ष चैनल ने असॉल्ट राइफलों के साथ नाचते हुए लोगों की एक वीडियो क्लिप चलाते हुए दावा किया कि ये तालिबानी हैं, जो मैदान वरदक पर क़ब्ज़े के बाद जश्न मना रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में सामने आया कि मूल वीडियो पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख्वा में हुए एक वैवाहिक समारोह का है.
अक्षय कुमार के साथ प्रधानमंत्री मोदी के ग़ैर-राजनीतिक इंटरव्यू की तैयारी ज़ी न्यूज़ की संपादकीय टीम ने कराई. ज़ी की टीम ने शूट और पोस्ट प्रोडक्शन यानी एडिटिंग की. यह सीधा-सीधा पॉलिटिकल प्रोपेगैंडा है. ज़ी न्यूज़ के तैयार कंटेंट को एएनआई से जारी करवाकर सारे चैनलों पर चलवाया गया. क्या इन चैनलों को नहीं बताना था कि यह कटेंट किसका है?