कोई भाईचारा नहीं था कभी, न कोई गंगा जमुनी तहज़ीब…

भारतीय जनतंत्र एक वादा था और हिंदू-मुसलमान भाईचारा उसकी बुनियाद. लेकिन आज मुसलमान ख़ुद को बराबरी का नागरिक नहीं मान पा रहा है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की उन्नीसवीं क़िस्त.

मुस्लिम आबादी को लेकर की जा रही सांप्रदायिक आंकड़ेबाजी का सच क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की तरफ से बीच चुनाव में जनसंख्या पर आधारित एक रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि मुसलमानों की आबादी में 43% की बढ़ोतरी हुई है और हिंदुओं की आबादी में 7% की कमी हुई है. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है. इस सांप्रदायिक तिकड़मबाज़ी पर द वायर की हेल्थ रिपोर्टर बनजोत कौर से अजय कुमार की बातचीत.

क्या भारत की आबादी में वाकई मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ी है?

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा पहले ही मुस्लिम विरोधी अभियान चला रही है. पीएम-ईएसी की रिपोर्ट आने के बाद मीडिया इसके कुछ हिस्सों का हवाला देकर सनसनीख़ेज़ ख़बरें चला रहा है, जो भाजपा की झूठी कहानी को आगे बढ़ाने जैसा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने एक चुनावी रैली में मुसलमानों को 'ज़्यादा बच्चा पैदा करने वाले' कहा था.