नागरिकता के सीमांत और उन पर ठहरे लोग

कौन नागरिकता के दायरे के केंद्र में और कौन हमेशा परिधि पर लटके रहने को अभिशप्त है? यह सवाल आज हर भाषा का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न हो उठा है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की पंद्रहवीं क़िस्त.