भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि 17 मार्च 2020 को हमारे फैसले के बाद एक भी महिला को पदोन्नति के लिए योग्य नहीं पाया गया. अदालत कैप्टन के पद पर पदोन्नति की मांग करने वाले छह अधिकारियों द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.
18 जुलाई 2020 को जम्मू-कश्मीर के शोपियां ज़िले के अमशीपोरा में एक फ़र्ज़ी एनकाउंटर के दौरान राजौरी जिले के तीन युवकों को आतंकवादी बताते हुए सेना ने मार दिया था. घटना के बाद उनके परिवारों ने दावा किया था कि तीनों का कोई आतंकी कनेक्शन नहीं था और वे शोपियां में मज़दूर के रूप में काम करने गए थे.
वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को रद्द कर दिया था, जिसके बाद एडल्ट्री अपराध की श्रेणी से बाहर हो गया था. हालांकि, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि उक्त आदेश में सशस्त्र बल अधिनियम के प्रावधानों के प्रभाव पर विचार नहीं किया गया था. यदि कमज़ोर नैतिकता वाली सेना होगी तो सैन्य अनुशासन प्रभावित होगा.
केंद्र द्वारा विभिन्न न्यायाधिकरणों में नियुक्ति की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोष जताने पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के पास चयन समिति की अनुशंसा स्वीकार न करने की शक्ति है. इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार को ही अंतिम फ़ैसला करना है, तो प्रक्रिया की शुचिता क्या है.
केंद्र ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण और सशस्त्र बल अधिकरण में विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति की है. ये नियुक्तियां ऐसे समय में भी हुई हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए चिंता जताई है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे न्यायाधिकरणों में नियुक्ति न करके उन्हें ‘निष्क्रिय’ कर रही है.