सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बीते 26 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों की आलोचना की थी. उनके इस बयान को पूर्व सैन्य कर्मियों और विपक्षी पार्टियों ने रक्षा कर्मियों के लिए तय आचार संहिता का उल्लंघन बताया था.
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा था कि नेता वे नहीं हैं जो ग़लत दिशा में लोगों का नेतृत्व करते हैं, जैसा कि हम बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्रों को देख रहे हैं, जिस तरह वे शहरों और कस्बों में आगज़नी और हिंसा करने में भीड़ की अगुवाई कर रहे हैं. यह नेतृत्व नहीं है.
हालांकि, पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसकी जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना के नौ सैनिकों की मौत हुई है.
जनरल बिपिन रावत ने जम्मू कश्मीर के हालात पर कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकवादियों और पाकिस्तान में बैठे उनके हैंडलर्स के बीच अब संपर्क टूट चुका है और इस वजह से कश्मीर में आतंकी घटनाएं रुक गई हैं.
सेना की एक महिला अधिकारी ने दिसंबर 2016 में सेवारत मेजर जनरल के खिलाफ लिखित शिकायत की थी. जसवाल उस वक्त नगालैंड में असम राइफल्स में बतौर महानिरीक्षक सेवा दे रहे थे.
सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि ज़्यादातर जवान ग्रामीण इलाकों से आते हैं और वे इस बात को स्वीकार नहीं कर सकेंगे कि एक महिला उनको लीड कर रही है.
चुनावों को मद्देनज़र राजनीतिक दल लोकप्रिय, त्वरित और दिखने में प्रभावशाली परिणाम चाहते हैं. लेकिन सेना के नेतृत्व को वो नहीं करना चाहिए, जो कोई सत्ताधारी पार्टी चाहती है.
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कश्मीरी युवाओं के आतंक की राह पर चलने को लेकर चिंता जताई और कहा कि आतंकी बने युवाओं की मौत से उन्हें ख़ुशी नहीं मिलती.