अब्दुल्ला सरकार के सत्ता संभालने के बाद लक्षित हमलों और उग्रवाद विरोधी अभियानों में करीब दो दर्जन नागरिक, सुरक्षाकर्मी और आतंकवादी मारे गए हैं. ताज़ा घटना किश्तवाड़ की चतरू तहसील में हुई है, जो जम्मू और कश्मीर के बीच की सीमा पर है. पिछले कुछ महीनों से यहां आतंकी गतिविधियों में तेज़ी देखी गई है.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी श्रमिक को गोली मारकर घायल करने के कुछ घंटों बाद आतंकियों ने गुलमर्ग के नागिन इलाके में सेना के वाहन को निशाना बनाया. घटना में चार लोगों की मौत हुई है.
'समय के साथ मैंने अपनी पहचान छुपाना शुरू कर दिया है. जब कोई मुझसे पूछता है कि आप कहां से हैं, तो मैं कहती हूं- यहीं दिल्ली से.’
भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय इकाई के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर में जश्न मनाते हुए एक जुलूस निकाला और कहा कि कश्मीर को 5 अगस्त को आज़ादी मिली थी.
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ा दी हैं, जिसके बाद अब अब पुलिस, आईएएस और आईपीएस जैसे अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के लिए एलजी की अनुमति लेनी होगी. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसकी आलोचना की है.
महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के चलते एफआईआर दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू कश्मीर की स्थिति में किए गए बदलाव की आलोचना करने का हक़ है.
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 23 याचिकाएं दाख़िल की गई है. बीते 10 जुलाई को एक नया हलफ़नामा दाख़िल कर सरकार ने अपने फैसले का बचाव किया है.