2016 में पेरुमल मुरुगन की किताब 'मधोरुबगन' पर लगे अश्लीलता के आरोपों के चलते इस पर रोक लगाने की मांग ख़ारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि जिसे किताब नहीं पसंद है वो इसे फेंक दे. इस पीठ में शामिल रहे जस्टिस एसके कौल ने बीते हफ्ते एक कार्यक्रम में कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांत कलाकार के पक्ष में हैं, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता.