नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर बहस जारी है. कुछ इतिहासकार इस बात से निराश हैं कि इसमें सम्राट अशोक के मूल चिह्न के सार का अभाव है, जिसमें शेरों को ‘रक्षक’ के रूप में दर्शाया गया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि नए प्रतीक में शेरों के दांत दिखाकर यह सरकार किस तरह का संदेश देना चाहती है. क्या आप भारत को एक ‘शांतिपूर्ण देश’ से ‘आक्रामक राष्ट्र’ में तब्दील करना चाहते
नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर जारी विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को एक पत्र लिखा है, जिसमें केंद्र से मांग की है कि नवनिर्मित प्रतिमा का मूल अशोक स्तंभ से मिलान करने के लिए त्रिआयामी कंप्यूटरीकृत जांच की जाए. साथ ही उन्होंने मूर्तिकार के चयन की प्रक्रिया और इसकी स्थापना में आए ख़र्च की भी जानकारी मांगी है.
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण नहीं करना चाहिए था. इस दौरान वहां पूजा पाठ करने पर माकपा ने कहा कि यह हर किसी का प्रतीक है, न कि उनका, जिनकी कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं. धर्म को राष्ट्रीय समारोहों से दूर रखें.