हरियाणा चुनाव: बलाली की विनेश ने राजनीति के लिए अपना जन्मस्थान क्यों नहीं चुना?

विनेश फोगाट बलाली गांव की रहने वाली हैं जो चरखी-दादरी ज़िले के बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, लेकिन वे जींद ज़िले की जुलाना विधानसभा से लड़ रही हैं.

हरियाणा चुनाव: जवान, किसान और पहलवान का फैक्टर है कितना बलवान?

सेना में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ' योजना, दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे किसान और राजधानी में ही पुलिस द्वारा घसीटे गए प्रदर्शनकारी पहलवानों के मुद्दों की हरियाणा के मौजूदा विधानसभा चुनावों में गहरी छाप नज़र आती है.

हरियाणा चुनाव की एक कहानी: जिसका कुआं, उसका पानी

अमित बागड़ी ने बचपन में एक बार अनजाने में ब्राह्मणों के कुएं से पानी पी लिया था. उन्हें तुरंत उस कुएं से दूर रहने की हिदायत दी गई. तब से वे कभी उस कुएं पर नहीं गए.

हरियाणा की 36 बिरादरी का भाईचारा इस बार क्या बदलाव लेकर आएगा

हरियाणा चुनाव में 36 बिरादरियों के भाईचारे का नारा सामाजिक बदलाव का संकेत दे रहा है, लेकिन आने वाला समय ही बताएगा कि चुनाव के बाद की राजनीति में यह परिवर्तन कितना फलीभूत होगा.

हरियाणा चुनाव: क्या भाजपा के बाग़ी इस बार भी डुबोएंगे पार्टी की नैया?

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बग़ावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले 5 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कई सीटों पर बाग़ियों ने भाजपा का खेल बिगाड़ा था. नतीजतन, पार्टी बहुमत से दूर रह गई थी. इस बार भी कम से कम 18 सीटों पर भाजपा के बाग़ी निर्दलीय मैदान में हैं.

हरियाणा चुनाव की अनकही कथा: मारुति के बर्ख़ास्त मज़दूरों की व्यथा

दशक भर पहले गुड़गांव के मानेसर स्थित मारुति फैक्ट्री में प्रबंधन और मज़दूरों के बीच हिंसक हुए विवाद में एक अधिकारी की मौत हो गई थी. इसके बाद करीब ढाई हज़ार मज़दूरों को मनमाने तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया था. वे आज तक नौकरी बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं.

हरियाणा चुनाव: पूर्व सेना प्रमुख के गांव में भी ‘अग्निपथ’ से दूरी

हरियाणा के भिवानी ज़िले का बापोड़ा गांव पूर्व सेना प्रमुख और भाजपा सांसद जनरल वीके सिंह का गांव है. गांव के हर दूसरे परिवार में आपको सैनिक मिल जाएंगे, लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना लागू होने के बाद यहां के युवा सेना का सपना छोड़कर अन्यत्र भविष्य तलाश रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर: चुनाव के अंतिम चरण से पहले आतंकी मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी की मौत

अधिकारियों ने बताया कि कठुआ ज़िले में तीन से चार आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद एक तलाशी अभियान शुरू किया गया था, जहां तलाशी दल के सदस्यों पर आतंकियों ने हमला कर दिया.

विनेश फोगाट राठी: जब सत्ता से जूझती खिलाड़ी राजनेता बनती है

विनेश स्टेडियम को छोड़कर एक नई राह पर चल पड़ी हैं. उनसे पहले भी खिलाड़ी राजनीति में आए हैं, लेकिन उन सभी ने अपनी पूरी पारी खेल चुकने के बाद संसद का रुख़ किया था. क्या सहसा चुना गया यह रास्ता विनेश को सार्थकता दे पाएगा?

भाजपा ने सांसद कंगना रनौत के कृषि क़ानूनों की वापसी वाले बयान से पल्ला झाड़ा

भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा था कि सालभर के किसान आंदोलन के बाद निरस्त किए गए विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. भाजपा ने उनकी टिप्पणी से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि कंगना पार्टी की ओर से इस तरह के बयान देने के लिए 'अधिकृत' नहीं हैं.

जम्मू-कश्मीर: कठुआ बलात्कार-हत्या के आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता भाजपा में शामिल

जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान दक्षिणपंथी संगठन एकम सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंकुर शर्मा भाजपा में शामिल हुए हैं. शर्मा ने मुस्लिम गुज्जरों और बकरवाल समुदायों का विरोध करते हुए दावा किया था कि वे ‘भूमि जिहाद’ में लगे हुए हैं. वे 2018 के कठुआ रेप केस के एक आरोपी के वकील भी रहे हैं.

हरियाणा चुनाव: जाट, जाति और दलित के फेर में फंसी भाजपा-कांग्रेस के सीएम फेस की रेस

भारतीय जनता पार्टी ने नायब सिंह सैनी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है, बावजूद इसके पार्टी के अन्य नेता दावेदारी पेश करते देखे गए हैं. वहीं, कांग्रेस ने सीएम चेहरा तो घोषित नहीं किया है, लेकिन पार्टी के फ़ैसलों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की निर्णायक भूमिका काफ़ी कुछ कह देती है.

कश्मीर चुनाव का छाया युद्ध: कौन किसका प्रॉक्सी है?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में परंपरागत राजनीतिक दल- पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस आदि ही निर्दलीय प्रत्याशियों समेत छोटे क्षेत्रीय दलों को भाजपा का 'प्रॉक्सी' और 'बी' टीम बता रहे थे. हाल यह है कि अब स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन देने वाले जमात-ए-इस्लामी ने भी यही दावे दोहराए हैं.

क्या कश्मीर चुनाव समाधान हैं या नई मुश्किलों की शुरुआत

वीडियो: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को बदलाव की बयार के तौर पर देखा जा रहा है, पर क्या इनसे सूबे के हालात में कोई परिवर्तन होगा? इस बारे में द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज और न्यूज़लॉन्ड्री की मैनेजिंग एडिटर मनीषा पांडे के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.