पाश की कविता में स्वप्न और संघर्ष का स्थाई भाव है… वे सपनों को जिलाए रखते हैं

विशेष: क्रांतिकारी सपने देखता है. वह उसे विचार व कर्म की आंच में पकाता है. वह शहीद होकर भी संघर्ष की पताका को गिरने नहीं देता. उसे अपने दूसरे साथी के हाथों में थमा देता है. शहीद भगत सिंह ने जिस आज़ाद भारत का सपना देखा था, पाश उसे अपनी कविता में विस्तार देते हैं.

पाश की कविताएं ख़ामोश नहीं बैठने देंगी

वीडियो: अवतार सिंह संधू यानी पाश एक ऐसे कवि रहे हैं, जिन्होंने अपने वक़्त में भी वक़्त से बहुत आगे की सोच रखी थी. वर्तमान समय में जबकि ख़ामोश रह जाना समाज को एक सुरक्षा कवच जैसा लगने लगा है, पाश की रचनाओं को पढ़ना और सुनना एक बेचैनी पैदा करता है. हक़ीक़त में देखें तो इसी बेचैनी की ज़रूरत आज सबसे ज़्यादा है.

भगत सिंह, दिनकर और पाश: सितंबर के तीन जांबाज़

वीडियो: सितंबर शहीद भगत सिंह, कवि रामधारी सिंह दिनकर और कवि अवतार सिंह संधू ‘पाश’ के जन्म का महीना है. इन तीनों शख़्सियतों को याद कर रही हैं द वायर की दामि​नी यादव.