बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 30 फीसदी सरकारी पद स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और पोते-पोतियों के लिए, 10 फीसदी महिलाओं के लिए और 10 फीसदी विशिष्ट जिलों के निवासियों के लिए आरक्षित हैं. छात्र इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि, जातीय अल्पसंख्यकों और विकलांगों के लिए भी आरक्षण है लेकिन इसका विरोध नहीं है.
जिस तरह भ्रष्टाचारियों को अपना भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार नहीं लगता, उसी तरह कट्टरपंथियों को अपनी कट्टरता कट्टरता नहीं लगती. वे ‘दूसरी’ कट्टरताओं को कोसते हुए भी अपनी कट्टरताओं के लिए जगह बनाते रहते हैं और इस तरह दूसरी कट्टरताओं की राह भी हमवार करते रहते हैं.
बांग्लादेश में हिंसा के नए चक्र से शायद हम एक दक्षिण एशियाई पहल के बारे में सोच सकें जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी बराबरी के हक़ के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का निर्माण करे.