सीजेआई का इंटरव्यू याद दिलाता है कि वाक्चातुर्य कला है और कोई उसका माहिर हो सकता है लेकिन क्या वह ईमानदारी से बोल रहा है? चतुर वक्ता पक्ष चुनते हैं या दिए हुए पक्ष के लिए तर्क जुटाते हैं. वे यह कहकर अपने कहे की ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते कि पक्ष उनका नहीं. हम जानते हैं कि उन्होंने अपना पक्ष चुना है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए नज़ीर के विदाई समारोह में सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं. उनकी नज़र में जस्टिस नज़ीर में धर्मनिरपेक्षता इसलिए थी कि शीर्ष अदालत के बाबरी मस्जिद विवाद में निर्णय देने वाली पीठ में वे एकमात्र मुस्लिम सदस्य थे पर उन्होंने मंदिर बनाने के लिए मस्जिद की ज़मीन को मस्जिद तोड़ने वालों के ही सुपुर्द करने वाले फ़ैसले पर दस्तख़त किए.