ग़ालिब और उनका ‘चिराग़-ए-दैर’ बनारस

बनारस को दुनिया के दिल का नुक़्ता कहना दुरुस्त होगा. इसकी हवा मुर्दों के बदन में रूह फूंक देती है. अगर दरिया-ए-गंगा इसके क़दमों पर अपनी पेशानी न मलता तो वह हमारी नज़रों में मोहतरम न रहता.

आईआईटी बीएचयू ने आदर्श बहू की ट्रेनिंग देने संबंधी ख़बर को गलत बताया

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि आईआईटी बीएचयू में इस तरह के प्रशिक्षण की कोई योजना नहीं है और न ही उसका स्टार्टअप यंग​ स्किल्ड इंडिया से कोई लेना-देना है.

वाराणसी पुल हादसा: हादसे के 74 दिन बाद सात इंजीनियर और एक ठेकेदार गिरफ़्तार

इस साल 15 मई को वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.

वाराणसी फ्लाईओवर हादसा: पुलिस ने निर्माण कंपनी को लिखे थे पांच पत्र, कहा था- सावधानी बरतें

पुलिस ने ब्रिज कॉरपोरेशन के अधिकारियों के खिलाफ 19 फरवरी को एक एफआईआर भी दर्ज करते हुए कहा था कि ब्रिज का निर्माण कार्य अव्यवस्थित है. एक आयरन बीम नीचे जा रहे ट्रेफिक के ठीक ऊपर लटक रहा है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 243: कर्नाटक में सरकार गठन और वाराणसी फ्लाईओवर हादसा

जन गण मन की बात की 243वीं कड़ी में विनोद दुआ कर्नाटक में सरकार बनाने की जोड़तोड़ और वाराणसी फ्लाईओवर हादसे पर चर्चा कर रहे हैं.

जागरण समूह के अख़बार ने वाराणसी फ्लाईओवर हादसे के लिए ग्रहों को ज़िम्मेदार ठहराया

'आई नेक्स्ट' अख़बार ने वाराणसी के फ्लाईओवर हादसे के लिए सूर्य, मंगल और शनि ग्रह के त्रिकोण को ज़िम्मेदार बताते हुए लिखा कि इन ग्रहों के कारण आगे ऐसी और भी घटनाएं होने की आशंका है.

बनारस में कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल ढहा, अब तक 18 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त ने कहा कि मलबे के नीचे कई अन्य लोगों के दबे होने की आशंका, इसलिए मारे गए लोगों की संख्या बढ़ सकती है.

बनारस से ग्राउंड रिपोर्ट: क्या मोदी-योगी गलियों और मंदिरों के इस शहर से उसकी पहचान छीन रहे हैं?

बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के लिए तकरीबन 300 मकानों का अधिग्रहण होना है, जिससे 600 परिवारों पर विस्थापन का ख़तरा पैदा हो गया है.

बनारस की छवि को बार-बार बेचा गया है

ग्राउंड रिपोर्ट: मीडिया द्वारा बनारस की मूल समस्याओं से ध्यान हटाकर उसे लंका से काशी विश्वनाथ और बीएचयू पर केंद्रित कर दिया गया. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष या विपक्ष में कर दिया गया. यह न तो जनतंत्र के लिए ठीक बात है और न ही पत्रकारिता के लिए.

देखौ गुरु! ई बनारस है, मोदी हों या अखिलेश, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है…

ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.