बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके सभी अंग विकसित हो रहे हैं, हालांकि बढ़ती हुई असमानता आज भी चिंता का विषय है.
बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.
बांग्लादेश के अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोग विशेष रूप से बेंगलुरु से हैं और वे एनआरसी के डर एवं उत्पीड़न और धमकी की वजह से भाग रहे हैं.
कुछ मछुआरों की गिरफ़्तारी को लेकर बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के जवानों से सीमा सुरक्षा बल के जवानों से हुआ था टकराव. इस दौरान बांग्लादेश के जवान ने गोली चला दी. मृतक भारतीय जवान उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले के रहने वाले विजयभान सिंह थे.
यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ का कहना है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के गांवों में अब भी हमले हो रहे हैं.
बांग्लादेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों ने नागरिकता और सुरक्षा की गारंटी की मांग वाले नारे लगाए.
रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के बांग्लादेश में दाख़िल होने के बाद बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया गया था. म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.