बांग्लादेश: ‘दूसरी आज़ादी’ का कट्टर और धर्मांध सवेरा?

तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस ने कहा था कि बांग्लादेश को दूसरी आज़ादी मिली है, लेकिन इसके असल लाभार्थी तमाम कट्टरपंथी संगठन बन रहे हैं.

बांग्लादेश में अस्थिरता के चलते भारत की विकास परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं: विदेश मंत्रालय

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के कारण कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं तो हम पड़ोसी देश से बात करेंगे.

बांग्लादेश की विभाजित अल्पसंख्यक राजनीति: हिंदू बनाम हिंदू

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अल्पसंख्यक राजनीति विभाजित हो गयी है. कुछ हिंदू कहते हैं कि तख्तापलट के दौरान और उसके बाद अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गये हैं, और कुछ दावा करते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और माहौल को भड़काने के लिए हैं.

हिंदू शेख़ हसीना को विकल्पों की कमी के कारण वोट करते थे: राणा दासगुप्ता

राणा दासगुप्ता बांग्लादेश के प्रमुख अल्पसंख्यक नेता हैं. द वायर हिंदी से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद 52 ज़िलों में अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की कम से कम 205 घटनाएं हुई हैं.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त पांच

किसी भी देश में बहुसंख्यकवाद हो, उसका प्रभाव दूसरे देश की प्रगति को बाधित करेगा. दोनों देशों की छवियां भी इससे प्रभावित होंगी. यदि भारत और बांग्लादेश में से एक में भी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म होती है तो ऊपर से चाहे जितने भी समझौते कर लिए जाएं, कभी अमन क़ायम नहीं हो सकता.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त चार

बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.

भारत के पड़ोसी देशों में उपज रहे संघर्षों के बीच दक्षिण एशिया का भविष्य क्या है?

हालिया सालों में कई दक्षिण एशियाई देशों में हिंसक तरीके से सरकारें गिराई गई हैं. अपने पड़ोस में भारत की कूटनीतिक विफलताएं क्या रहीं? क्या भारत कुछ अलग कर सकता था? इस बारे स्वतंत्र पत्रकार और विदेश मामलों की विशेषज्ञ निरुपमा सुब्रमण्यम से द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त दो

बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त एक

भारत के लिए आवश्यक है कि वह बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम करे. यह रेखांकित करना चाहिए कि विपक्ष को 40 फीसदी मतदाताओं का समर्थन है

विद्युत निर्यात नियम संशोधित, अडानी समूह बांग्लादेश को निर्यात वाली बिजली भारत में बेच सकेगा

भारत सरकार के विद्युत निर्यात नियमों के तहत अडानी पावर का झारखंड स्थित गोड्डा संयंत्र अपना समस्त उत्पादन बांग्लादेश को बेचने के लिए अनुबंधित था, लेकिन अब वह घरेलू बाजार में आपूर्ति कर सकेगा. गौरतलब है कि यह संशोधन बांग्लादेश में व्याप्त अस्थिरता के बीच हुआ है.

क़ानून मंत्रालय कहेगा तो शेख़ हसीना को वापस लाने के प्रयास करेंगे: बांग्लादेश सरकार सलाहकार

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री के समान कद रखने वाले मोहम्मद तौहीद हुसैन ने देश के लोगों से भारत को एक क़रीबी मित्र के रूप में देखने की भी अपील की है.

गृह मंत्रालय ने सीएए के तहत विदेशी नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज़ों के नियम में संशोधन किया

सीएए के तहत नागरिकता का आवेदन करने वालों को यह प्रमाणित करना होता है कि वे विदेशी हैं और इसके लिए सरकार की ओर से नौ ज़रूरी दस्तावेज़ भी तय हैं. हालांकि, अब कहा गया है कि आवेदक भारत की केंद्र या राज्य सरकार या किसी अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण द्वारा जारी किए कोई भी दस्तावेज़ दिखा सकते हैं.

शेख़ हसीना ने जो चुनावी बूथ पर नहीं होने दिया, वह सड़क पर होकर रहा

शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ हुआ विद्रोह अपनी तार्किक परिणति पर तब तभी पहुंच सकता है जब वह छात्रों को सुनेगा: यह आंदोलन एक ऐसा समाज बनाने का आंदोलन है जिसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव न होगा.

बांग्लादेश में तख्तापलट: भारत के लिए चुनौतियां

क्या बांग्लादेश की आर्थिक तरक्की के गुब्बारे में गैर-बराबरी की हवा थी या शेख हसीना का भारत समर्थक रवैया उन्हें ले डूबा? उनका राजनीतिक अवसान भारत के लिए चिंता का विषय क्यों है?