सुप्रीम कोर्ट ने द वायर का प्रकाशन करने वाले ‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म’ और उसके तीन पत्रकारों के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पास जाने के लिए कहा और उन्हें गिरफ़्तारी से दो माह का संरक्षण दिया है.
24 अप्रैल के अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र, विध्वंस के किसी भी आदेश को 31 मई तक रोक दिया जाना चाहिए. इसके बावजूद 17 मई को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रामसनेहीघाट स्थित मस्जिद को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया गया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बाराबंकी में अवैध तरीके से एक मस्जिद को ध्वस्त करने की रिपोर्ट को लेकर गुरुवार रात द वायर और इसके दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. मस्जिद को कथित तौर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा बीते मई में ध्वस्त किया गया था, जिसकी ख़बर भारत और विदेशों में द वायर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित की थी.
उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के एक स्कूल की छात्रा ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधिकारी से पूछा था कि क्या गारंटी है कि गलत के खिलाफ शिकायत करने पर मैं सुरक्षित रहूंगी और मेरा एक्सीडेंट नहीं करा दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के एक स्कूल में बालिका सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के दौरान एक छात्रा ने पुलिस अधिकारी को बताया कि 18 साल की एक लड़की के साथ भाजपा नेता ने रेप किया. अब उसकी कार को ट्रक ने उड़ा दिया गया, वह गंभीर हाल में अस्पताल में भर्ती है.