झारखंड: संथाल परगना के बांग्ला-भाषी मुसलमान बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं हैं- रिपोर्ट

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पिछले महीने संसद में दावा किया था कि संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या कम होती जा रही है क्योंकि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिये आकर बस रहे हैं. झारखंड जनाधिकार महासभा व लोकतंत्र बचाओ अभियान की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा द्वारा संसद और मीडिया में पेश किए जा रहे आंकड़े झूठे हैं.

असम के मुस्लिमों पर हिमंता बिस्वा की टिप्पणी पर ओवैसी बोले- कट्टरता, नस्लवाद का खुला प्रदर्शन

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुस्लिम समुदाय से कहा था कि यदि वे चाहते हैं कि उनके साथ मूल निवासी जैसा बर्ताव किया जाए तो वे असमिया संस्कृति का पालन करें. मूल निवासी होने के लिए किसी को वहां की संस्कृति को स्वीकार करना होगा.

भाजपा को अगले 10 साल तक मिया वोटों की ज़रूरत नहीं: असम के मुख्यमंत्री

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि ‘मिया’ लोग उनका, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन करते हैं और वे उन्हें वोट दिए बिना भगवा ब्रिगेड के पक्ष में नारे लगाना जारी रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब वे परिवार नियोजन का पालन करेंगे, बाल विवाह रोकेंगे और कट्टरवाद छोड़ देंगे तब हमें वोट करें.

असम: हिमंता बिस्वा कैबिनेट ने पांच मुस्लिम समुदायों को ‘स्वदेशी’ का दर्जा देने को मंज़ूरी दी

राज्य के असमिया मुस्लिम समुदाय से संबंधित सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए पिछले साल असम सरकार द्वारा गठित आयोग की सिफ़ारिशों के बाद कैबिनेट ने गोरिया, मोरिया, जुल्हा, देशी और सैयद नाम के पांच असमिया मुस्लिम उप-समूहों को स्वदेशी असमिया मुस्लिम समुदाय के तौर पर मान्यता दी है.

असम के मुस्लिम समुदाय की अलग पहचान के लिए जनगणना और प्रमाण-पत्र देने की सिफ़ारिश

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने जुलाई 2020 में राज्य के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक आयोग का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में पहचान-पत्र या प्रमाण-पत्र जारी करने के साथ-साथ असमिया मुस्लिम समुदाय की पहचान और दस्तावेज़ीकरण के लिए जनगणना कराने का सुझाव दिया है.

असम: हाईकोर्ट ने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के आदेश को किया ख़ारिज, कहा- नागरिकता महत्वपूर्ण अधिकार है

ये मामला असम के मोरीगांव ज़िले के मोइराबारी निवासी असोरुद्दीन से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में बुलाया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हो सके थे और ट्रिब्यूनल ने उनका पक्ष जाने बिना ही उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था.

फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की वेबसाइट पर दंगा पीड़ितों की फोटो, परिवार को ‘विदेशी’ ठहराए जाने का डर

असम में साल 2012 में बोडो और बांग्ला भाषी मुस्लिमों के भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इस दौरान विस्थापित हुए एक परिवार की तस्वीर को राज्य सरकार के गृह विभाग ने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के बारे में जानकारी देते हुए अपने पेज पर लगाया है.