भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रही चेन्नई-सलेम आठ लेन की हरित राजमार्ग परियोजना का कुछ किसानों सहित स्थानीय लोगों का एक वर्ग विरोध कर रहा था, क्योंकि उन्हें अपनी भूमि गंवाने का भय था. पर्यावरणविद भी वृक्षों की कटाई का विरोध कर रहे थे. यह परियोजना आरक्षित वन और नदियों से होकर गुज़रती है.