पहला मामला उत्तर गुजरात के मेहसाणा ज़िले के एक प्री-स्कूल का है. विरोध प्रदर्शन के बाद स्कूल की निदेशक ने लिखित में माफ़ी मांगी है. वहीं कच्छ ज़िले के भुज स्थित एक स्कूल में बकरीद पर नाटक का मंचन किया गया था, जिसका भगवा संगठनों, अभिभावकों और नेताओं ने विरोध किया था. यहां के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने गुजरात के भुज में एक कानूनी सेवा शिविर और जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा समावेशी नहीं है. कुछ गांवों और बड़े शहरों में जो शिक्षा प्रदान की जाती है, उनकी गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. हमें इन सब पर विचार करना चाहिए. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, सतत विकास मानकों के अनुसार शिक्षा के मामले में हम कमज़ोर रहेंगे.
भुज के श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट के हॉस्टल में छात्राओं के पीरियड्स जांचने के लिए उनको अंडरगारमेंट्स उतारने को मजबूर करने की बात सामने आई थी. संस्था के ट्रस्टी का कहना है कि बरसों से चल रही रुढ़िवादी परंपरा के नियम अब छात्राओं के लिए स्वैच्छिक होंगे, इनके पालन के लिए उन पर दबाव नहीं डाला जाएगा.
मामला भुज के श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट का है, जहां छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल के माहवारी संबंधी नियम तोड़ने की शिकायत के बाद 60 से ज़्यादा छात्राओं को अपने अंडरगारमेंट्स उतारने के लिए मजबूर किया गया.