बीते 25 मार्च को झारखंड के पलामू ज़िले में कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनज़र कुछ लोगों को घर में रहने की सलाह देने पर एक दुकानदार पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने शव ले जाने के लिए पीड़िता के परिवार से कथित तौर पर 3,000 रुपये मांगें, जिसके बाद परिवार को चार किलोमीटर तक शव को कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ा.
बीते शुक्रवार को आरा कस्बे के जवाहर टोला में रहने वाले राहुल की मौत हो गई थी. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते वे पिछले कई दिनों से बेरोजगार बैठे हैं.
बिहार में दिनोंदिन बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच संक्रमित मरीज़ों के इलाज में लगे डॉक्टरों का कहना है कि पर्याप्त आइसोलेशन बेड व सुरक्षा उपाय तो दूर, उन्हें सबसे बुनियादी चीज़ें मास्क और सैनिटाइज़र तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान को लेकर प्रशांत किशोर पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है.
जदयू से बाहर निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की' कैंपेन शुरू किया है. उनका कहना है कि इसके ज़रिये वे सकारात्मक राजनीति करने के इच्छुक युवाओं को जोड़ना चाहते हैं. कैंपेन के तहत उनके द्वारा दिए जा रहे आंकड़े बिहार की एनडीए सरकार के राज्य में पिछले 15 सालों में हुए विकास के दावों पर सवाल उठाते हैं.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर देश भर में कड़ा विरोध हुआ है. कई राज्यों ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया है और एनआरसी लागू न करने की बात कही है. लेकिन बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनआरसी-एनपीआर से इनकार कर रहे हैं, पर सीएए के समर्थन में हैं. इस बारे में जदयू के पूर्व महासचिव पवन वर्मा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एनआरसी को बिहार में लागू नहीं किया जा रहा है और एनपीआर का 2010 में किए गए तरीके से ही अपडेटेशन किया जाएगा.
विशेष रिपोर्ट: 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में बिहार के रहने वाले दो सीआरपीएफ जवान भी शहीद हुए थे. हमले के एक साल बाद इनके परिजनों का कहना है कि शहादत के बाद सरकार की तरफ से बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन सारे कागज़ी निकले.
साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आया था, जिसे ब्रजेश ठाकुर के संगठन द्वारा चलाया जा रहा था. दिल्ली की एक अदालत ने बीते जनवरी में ठाकुर को पॉक्सो क़ानून और आईपीसी की धाराओं के तहत बलात्कार और सामूहिक बलात्कार का दोषी माना था.
प्रशांत किशोर और पवन वर्मा पिछले कुछ दिनों से नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर पार्टी अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के कारण उनकी आलोचना कर रहे थे.
बिहार की राजधानी पटना के जेडी वीमेंस कॉलेज ने छात्राओं के लिए एक निर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सभी छात्राओं को शनिवार को छोड़कर हर दिन निर्धारित ड्रेस कोड में कॉलेज आना होगा. नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर 250 रुपये जुर्माना देना होगा.
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा ने हाल ही में पत्र लिखकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दिल्ली में भाजपा के साथ पार्टी के गठबंधन पर 'वैचारिक स्पष्टता' देने के लिए कहा था.
साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आया था. यह बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के संगठन की ओर से चलाया जाता था. मामले के सभी दोषियों को 28 जनवरी को सज़ा सुनाई जाएगी.
बीते छह जनवरी को सीबीआई ने बिहार में 17 आश्रय गृहों की जांच कर इनमें से 13 मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं. सीबीआई ने बिहार के 25 डीएम और अन्य सरकारी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश की है. सीबीआई के अनुसार, विभिन्न आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण और प्रताड़ना को रोकने में सरकारी अधिकारी असफल रहे हैं.