लालू ने कहा, ‘भाजपा के साथ नीतीश का सौदा हो चुका है. अगर ऐसा नहीं है तो फिर जदयू-राजद व कांग्रेस के सभी विधायक मिलकर नया मुख्यमंत्री चुनें.'
मोदी ने ट्वीट किया, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं.’
नीतीश ने कहा, ‘जितना भी संभव हुआ हमने काम करने की कोशिश की, लेकिन इस बीच में जो चीजें उभर कर सामने आईं, उस माहौल में मेरे लिए काम करना संभव नहीं था.’
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग नहीं की है.
चारा घोटाले में दोषी पाए गए लालू के साथ गठबंधन बनाते समय नीतीश का भ्रष्टाचार विरोधी छवि का ख्याल कहां चला गया था. 2015 के बाद बिहार में घटी हर छोटी-बड़ी घटना को लेकर लालू-नीतीश की इस सियासी दोस्ती पर सवाल उठे, लेकिन नीतीश ने चुप्पी साध रखी थी.
शराबबंदी से टीबी के जांच में इस्तेमाल होने वाले एथिल एल्कोहल की किल्लत हो गई है.
आप पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप है. हो सकता है क़ानूनी लड़ाई में वह आरोप ग़लत सिद्ध हो लेकिन अभी छवि-युद्ध में आपकी पीठ दीवार से लगी है.
सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अगर हम अपना कृषि क्षेत्र नहीं बचा पाए तो अर्थव्यवस्था भी नहीं बचा पाएंगे.
बिहार के दरभंगा में हुई एक रैली में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर्श मानते हैं.
समस्तीपुर ज़िले के विद्यापतिनगर थानाक्षेत्र के एक गांव में बदले की भावना के चलते दिया गया घटना को अंजाम. मामले के दोनों आरोपी फरार.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में युवक का कथित तौर पर अपहरण कर ज़बरन शादी कराने के मामले में पुलिस पर दुल्हन और उसकी बहन की बेरहमी से पिटाई करने का आरोप लगा है.
आप शंकराचार्यों की बेअसर पड़ चुकी पीठों पर काबिज़ होने के बजाय ज्ञान, विचार और सत्ता की नई पीठों की रचना के लिए क्यों नहीं आवाज़ उठाते, लालू जी!
मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर बिहार पुलिस मुख्यालय ने डीजी पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
चम्पारन सत्याग्रह शताब्दी समारोह के शोर के बीच मन में सवाल उठता है कि नील की खेती करने वाले हाड़-मांस के असली किसान, उनका परिवार, उनसे जुड़े लोग आज कहां हैं?
आज़ादी के बाद किसान अपनी समस्याओं के निदान के लिए गांधी के बताए सत्याग्रह के मार्ग पर चल रहे हैं, पर सरकारों के लिए इसका कोई अर्थ नहीं रह गया है.