राजस्थान: वसुंधरा राजे के ख़िलाफ़ कांग्रेस प्रत्याशी होंगे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह

हाल ही में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए मानवेंद्र सिंह ने कहा कि वसुंधरा राजे के ख़िलाफ़ झालरापाटन सीट से चुनौती स्वीकार, लेकिन किसी पद का दावेदार नहीं. राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की.

क्या ‘पुत्र मोह’ के चलते वसुंधरा राजे झालरापाटन से चुनाव लड़ने वाली हैं?

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजाखेड़ा से चुनाव लड़ने की चर्चा थी. भाजपा की ओर से की गई रायशुमारी में भी इस सीट से दावेदारों में उनका नाम सामने आया, लेकिन वसुंधरा ने अटकलों को विराम देते हुए अपनी परंपरागत सीट झालरापाटन से चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

राजस्थान में कांग्रेस जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र को गले लगाने से क्यों कतरा रही है?

बाड़मेर के शिव से विधायक मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में भाजपा को छोड़ने का ऐलान किया है. कांग्रेस उन्हें अपने पाले में लेना चाहती है, लेकिन उसे जातिगत समीकरण बिगड़ने का डर सता रहा है.

क्या जसवंत सिंह के विधायक बेटे मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में जाने की तैयारी में हैं?

भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव के समय से पार्टी से निलंबित चल रहे हैं.

राजस्थान: मुख्यमंत्री राजे के गढ़ में ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने लगाए ‘वसुंधरा वापस जाओ’ के नारे

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विधानसभा क्षेत्र झालावाड़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 9 अगस्त को 'भारत छोड़ो आंदोलन' की तर्ज पर 'वसुंधरा झालावाड़ छोड़ो' आंदोलन चलाया. लगभग 1000 कार्यकर्ताओं ने 500 मोटरसाइकल पर सवार होकर रैली निकाली और नारे लगाए.

‘देश में आज जो अघोषित आपातकाल लागू है वह घोषित से अधिक ख़तरनाक है’

भाजपा से छह बार विधायक और दो बार मंत्री रहे राजस्थान के घनश्याम तिवाड़ी ने यह पत्र पार्टी से इस्तीफ़ा देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लिखा है.

राजस्थान में भाजपा को बड़ा झटका, छह बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी छोड़ी

आपातकाल लागू होने के दिन इस्तीफ़ा देने पर घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि पिछले चार साल से देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुज़र रहा है.

किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने के लिए राजस्थान सरकार ख़ुद क़र्ज़ मांग रही है

किसान आंदोलन के दबाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस पर अमल करने के लिए ज़रूरी 8 हज़ार करोड़ रुपये की रकम जुटाने में सरकार चकरघिन्नी हो रही है.