विधि विशेषज्ञों की मानें तो अब जो स्थिति है, उसमें चाहे विवाद कोर्ट के बाहर सुलझ जाए या फैसला हिंदुओं के पक्ष में आ जाए, मंदिर निर्माण में विहिप की कोई भूमिका मुमकिन नहीं है.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिज़ोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
कांग्रेस के उम्मीदवार नीलांशु चतुर्वेदी ने अपने निकटतम उम्मीदवार भाजपा के शंकर दयाल त्रिपाठी को 14,133 मतों के अंतर से हरा दिया.
मोदी सरकार के मंत्रियों को जूनियर डोभाल से सीख लेकर पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के प्रति नफ़रत दिखाना बंद कर देना चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जीएसटी परिषद की बैठक के समय पर सवाल उठाया और कहा कि यह बैठक गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की गई है.
भाजपा की रघुबर दास सरकार के बड़े बोलों के बावजूद राज्य में मनरेगा मज़दूरों को नियत समय पर भुगतान मिलने जैसे कई अधिकारों का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड के पास रिलीज़ की अनुमति देने के लिए पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं.
सिद्धारमैया का आरोप, भाजपा आयकर विभाग की जांच का भय दिखाकर वरिष्ठ मंत्री डीके शिवकुमार पर पार्टी में शामिल होने का दबाव बना रही है, भाजपा ने इनकार किया.
जन गण मन की बात की 148वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा के कांग्रेस में तब्दील होने और दिल्ली में प्रदूषण पर चर्चा कर रहे हैं.
चुनाव प्रचार अभियान में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधा, जबकि कांग्रेस ने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भाजपा पर प्रहार किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, नोटबंदी देश की जनता द्वारा कालेधन के ख़िलाफ़ लड़ी गई निर्णायक लड़ाई. कांग्रेस ने कहा, पीएम माफ़ी मांगें.
ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.
हिमाचल प्रदेश चुनाव राउंडअप: भाजपा के नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा, कांग्रेस के राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर किया प्रहार, अब फ़ैसला जनता के हाथ.
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, मोदी ने रोजगारहीनता एवं आर्थिक अवसरों की कमी से उत्पन्न गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को क्षति पहुंचाई है.
निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.