पुस्तक समीक्षा: जेएनयू प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश की किताब 'बॉडी ऑन द बैरिकेड्स- लाइफ, आर्ट एंड रेसिस्टेंस इन कंटेंपररी इंडिया’ पन्ना-दर-पन्ना समझाती है कि फासीवाद के इस दौर में कभी भूमि सुधार की मांग करने वाले लोग अब राज्य द्वारा उनके घरों पर बुलडोजर चलाने के आपराधिक कृत्य का विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र मुस्लिम खिलाड़ी के समर्थन में साथी खिलाड़ियों के वक्तव्यों की एक सीमा थी, वे उन्हें इस प्रसंग को भूल जाने और अगले मैच में अपनी कला का जौहर दिखाने के लिए ललकार रहे थे, पर किसी ने भी इस पर मुंह नहीं खोला कि पूरे मुल्क में एक समुदाय के ख़िलाफ़ किस तरह ज़हर फैलाया जा रहा है, जिसके निशाने पर अब कोई भी आ सकता है.
इंग्लैंड की फुटबॉल टीम ने यूरो 2020 के दौरान 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को समर्थन देने के लिए 'घुटनों पर बैठने' का निर्णय लिया है. खेल जगत के तमाम महानायक और मनोरंजन जगत के सम्राट, जो संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहना चुनते हैं, शायद इंग्लैंड की टीम से कुछ सीख ले सकते हैं.
मामला पूर्वी बर्दवान जिले के एक स्कूल का है, जहां प्री-प्राइमरी की अंग्रेजी वर्णमाला की किताब में यू अक्षर को समझाने के लिए अग्ली यानी बदसूरत शब्द का इस्तेमाल किया गया है, साथ ही इस शब्द के सामने अश्वेत शख़्स का चित्र छपा है.
पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.
जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.