विहिप ने अयोध्या को रणक्षेत्र बनाया तो ‘हिंदू’ हुई हिंदी पत्रकारिता

मुख्यधारा की पत्रकारिता तो शुरुआती दिनों से ही राम जन्मभूमि आंदोलन का अपने व्यावसायिक हितों के लिए इस्तेमाल करती और ख़ुद भी इस्तेमाल होती रही. 1990-92 में इनकी परस्पर निर्भरता इतनी बढ़ गई कि लोग हिन्दी पत्रकारिता को हिंदू पत्रकारिता कहने लगे.

कांग्रेस के ख़िलाफ़ दायर 5000 करोड़ रुपये की मानहानि का मुक़दमा वापस लेंगे अनिल अंबानी

रिलायंस समूह की तीन कंपनियों- रिलायंस डिफेंस, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने कांग्रेस नेताओं- सुनील जाखड़, रणदीप सिंह सुरजेवाला, ओमान चांडी, अशोक चव्हाण, अभिषेक मनु सिंघवी, संजय निरुपम और शक्तिसिंह गोहिल के साथ कुछ पत्रकारों और नेशनल हेराल्ड के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा किया था.

नरेंद्र मोदी का ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान महज़ पाखंड है

मोदी का प्रचार करने वाले उन्हें 'चौकीदार' कहने वाले अभियान के सहारे उनकी छवि बदलना चाहते हैं. हालांकि उनकी भ्रष्टाचार-विरोधी साख की सच्चाई का पता उनके कार्यालय और सरकार द्वारा बड़े उद्योगपतियों के कथित आपराधिक भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई न करने से लगाया जा सकता है.

अनिल अंबानी ने नेशनल हेराल्ड के खिलाफ किया 5,000 करोड़ रुपये का मानहानि केस

अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की कंपनियों ने दावा किया है कि अखबार में राफेल विमान सौदे को लेकर प्रकाशित एक लेख अपमानजनक है.

मोदी सरकार ने राफेल सौदे के लिए सरकारी नियमों को ताक पर रखा है

भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण का आरोप है कि नरेंद्र मोदी द्वारा राफेल सौदे में किए गए बदलावों का उद्देश्य सिर्फ चहेते पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना था.

राफेल विमान सौदा: ये है पूरी कहानी जिस पर मचा है घमासान

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदने से जुड़े सौदे के संबंध में कई सवाल उठाए हैं.

अयोध्या एक शहर का नाम है जिसमें इंसान रहते हैं

यह वह अयोध्या नहीं है जिसको सार्वजनिक कल्पना में विहिप और भाजपा या दिल्ली के तथाकथित लिबरल्स व मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों ने स्थापित किया है. यह एक सामान्य शहर है.

अयोध्या विवाद: इस देश की राजनीति धर्मनिरपेक्ष विरासत और संकल्प भूल चुकी है

देश के वामपंथी और समाजवादी बौद्धिकों ने धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का पूरा दारोमदार मंडलवादी और आंबेडकरवादी आंदोलनों पर डाल दिया लेकिन इन आंदोलनों ने देश को इतने भ्रष्ट नेता दिए कि उनके पास धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का नैतिक बल ही नहीं बचा.