हाई-प्रोफाइल आरोपियों की रिहाई, ज़मानत और गवाहों पर दबाव होने जैसे कई सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एम थिप्से ने इस मामले को न्यायतंत्र की असफलता कहा है.
मामले में अब तक 30 गवाह बयान से मुकरे. नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि गवाहों को सुरक्षा देना सीबीआई का दायित्व. मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती.
जीएसटी जैसे कर को लोकप्रिय बताया गया, लेकिन इसका करदाताओं के लिए तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक वेबसाइट व पोर्टल तक आसानी से उनकी पहुंच सुनिश्चित नहीं होती.
नवंबर से शुरू हुई सुनवाई में अब तक अभियोजन के 40 गवाहों में से 27 गवाह बयान से मुकर चुके हैं.
आईपीएल की नीलामी में खिलाड़ियों के करोड़ों रुपये में बिकने की सुर्ख़ियों के बीच बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस टूर्नामेंट के अस्तित्व पर ही सवाल उठाया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई से यह भी पूछा कि वह क्यों नहीं चाहती कि मामले की सुनवाई जल्द हो.
कई पुलिसकर्मियों ने अपने उन पुराने सहकर्मी, जो इस मामले में आरोपी हैं, को पहचानने से इनकार कर दिया है.
अदालत ने कहा कि इस तरह की पाबंदी अनुचित है और यह पत्रकारों के अभिव्यक्ति की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई द्वारा चुनौती न देने को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि जज लोया की मौत से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में नहीं होगी.
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा मुक़दमों के आवंटन पर सवाल उठाया गया था.
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई की मीडिया रिपोर्टिंग पर बचाव पक्ष की अर्ज़ी के बाद रोक लगा दी गई थी, जिसके ख़िलाफ़ पत्रकारों ने याचिका दायर की है.
अधिवक्ता संघ ने उच्च न्यायालय से सीबीआई को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी करने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका दायर करे.
जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले मामले की सुनवाई के बाद ‘इसे उपयुक्त बेंच के समक्ष पेश करें’ कहना दिखाता है कि वे अब इस संवेदनशील मामले को नहीं सुनना चाहते.
राज्य सरकार के वक़ील हरीश साल्वे ने इन दस्तावेज़ों को गोपनीय बताया था, लेकिन अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को मामले के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए.