2016 में दलितों के ख़िलाफ़ जातिगत भेदभाव के 40 हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज हुए

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने सदन में बताया कि 2015 के मुक़ाबले 2016 में दलितों के ख़िलाफ़ जातिगत भेदभाव के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है.

क्या ‘जूठन’ पाठ्यक्रमों से बाहर कर दी जाएगी?

हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?

क्यों आईआईएम में वंचित समुदाय से आने वाले शिक्षकों के लिए जगह नहीं है?

एक सर्वे के अनुसार, देश के छह आईआईएम में जुलाई 2015 तक कुल 233 शिक्षक थे. इनमें से सिर्फ़ दो अनुसूचित जाति और पांच अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. अनुसूचित जनजाति से कोई भी शिक्षक यहां नहीं था.

कॉरपोरेट इंडिया के हाशिये पर दलित स्त्रियां

गुज़रते वक़्त के साथ भले ही कंपनियों के भीतर ‘स्त्रीवाद’ के प्रति जागरूकता बढ़ती नज़र आ रही है, लेकिन कुल मिलाकर कॉरपोरेट सेक्टर जाति की हक़ीक़त और कार्यस्थल पर पड़ने वाले इसके प्रभावों से मुंह चुराता दिखता है.