क़ानून का राज होने के बाद भी भीड़ का राज क़ायम है. इस भीड़ को धर्म, जाति और परंपरा के नाम पर छूट मिली है. किसी औरत को डायन बताकर मार देती है, जाति तोड़कर शादी करने वालों की हत्या कर देती है. इसी कड़ी में अब यह शामिल हो गया है कि अपराध करने वाला या झगड़े की ज़द में आ जाने वाले मुसलमान को जय श्री राम के नाम पर मार दिया जाएगा.
परमाणु ऊर्जा विभाग की एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें न सिर्फ़ उपयुक्त पद देने से इनकार कर दिया गया बल्कि उनका डिमोशन भी कर दिया गया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस मामले में पुलिस से जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट मांगी है.
मामला हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का है. कुल्लू के उपायुक्त यूनुस ने कहा कि हम सही सूचना हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. मनाली के एसडीएम और डीसीपी से इस मामले को देखने के लिए कहा गया है.
जब कोई फल पक जाता है, तब उसे तोड़ने के लिए सभी लपक पड़ते हैं. उसी तरह आज राजनीति में आंबेडकर चहेते हो गए हैं, लेकिन आंबेडकर दिखने में चाहे जितने आकर्षक हों, अपनाने में उतने ही कठिन हैं. वर्तमान राजनीतिक दल इस बात को जानते हैं इसीलिए वे 14 अप्रैल और 6 दिसंबर पर उनका नाम तो लेते हैं लेकिन उनकी वैचारिक तेजस्विता से डरते हैं.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, सितंबर 2015 से अब तक कथित रूप से हुए घृणा-आधारित अपराधों के कुल 721 मामले सामने आए हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या दलितों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुए अपराधों की है.
जेएनयू, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा दो साल तक किए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत हिंदू उच्च जातियों और 3.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं के पास है.
डॉक्टरों से संबंधित प्रशासनिक काम संभालने वाली एम्स फैकल्टी सेल के प्रमुख डॉक्टर संजय आर्या ने कहा कि हमने वरिष्ठ डॉक्टरों का डाटाबेस तैयार करने के उद्देश्य से फॉर्म भेजे थे. उनकी जाति और धर्म के बारे में जानकारी की कोई जरूरत नहीं थी. फॉर्म में ये सवाल गलती से जोड़ दिए गए. मैं इसे जल्द ही संशोधित कर दूंगा.
वैशाली जिले के एक सरकारी स्कूल में हिंदू और मुस्लिम बच्चों को अलग-अलग सेक्शन में बांटकर पढ़ाने का मामला सामने आया है. यहां पर अटेंडेंस रजिस्टर भी धर्म और जाति के आधार पर बनाया गया है.
क़ानून बनाना विधायिका का काम है, न्यायपालिका का नहीं.
देश के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमें क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या कहना चाहिए, क्या पढ़ना और सोचना चाहिए, ये सब अब हमारी निजी ज़िंदगी के छोटे और महत्वहीन सवाल नहीं रह गए है.
सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कोई ‘एक्स’ व्यक्ति आरक्षण की मदद से किसी राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है. अब, क्या उसके परिवार के सदस्यों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ा मानना तर्कपूर्ण होगा.’
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एससी/एसटी वर्ग के लोग सदियों तक मुख्यधारा से बाहर रखे गए, जाति का दंश एवं ठप्पा अब भी उनके साथ जुड़ा हुआ है. क्रीमी लेयर सिर्फ़ ओबीसी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने से समृद्ध लोगों को बाहर रखने के लिए लाया गया था.
मेरठ में हुए राष्ट्रोदय समागम में सभी हिंदुओं से साथ आने का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि संपूर्ण समाज को स्वयंसेवक बनना होगा.
हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?
जिस समाज में प्रेम के ख़िलाफ़ इतने सारे तर्क हों, उस समाज को अंकित की हत्या पर कोई शोक नहीं है, वह फ़ायदे की तलाश में है.