दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई अर्ज़ी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दिए गए आदेश के आधार पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति ख़ारिज करने की मांग की गई थी, जिससे अदालत ने इनकार कर दिया.
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र ने तर्क दिया कि गुजरात-कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति में कोई हस्तक्षेप की कोई ज़रूरत नहीं है.
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में दायर हलफ़नामे ने केंद्र ने दावा किया है कि अस्थाना की नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है और यह सभी नियम-क़ायदों को ध्यान में रखकर की गई है.
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि पहले हाईकोर्ट इस पर फ़ैसला करे, उसके बाद वे निर्णय देंगे. इससे पहले केंद्र ने अस्थाना की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस बहुत अलग तरीके से काम करती है.
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली पुलिस बहुत अलग तरीके से काम करती है और प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार केस में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला इस मामले में लागू नहीं होता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल संसद को रिपोर्ट करने वाले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की तरह सीबीआई को भी एक स्वायत्त संस्था होना चाहिए. सीबीआई की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए इसे वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए.
दिल्ली विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस प्रमुख पद के लिए सिर्फ ऐसे अधिकारियों पर विचार किया जा सकता है, जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने बचे हों.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एजीएमयूटी कैडर से बाहर गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को मंज़ूरी दी है. अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4 बी (1) के अनुरूप सीबीआई निदेशक द्वारा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों से कुछ विपरीत होने के बावजूद पद संभालने करने की तारीख से कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहने का प्रावधान है.
महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल के नाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत तीन सदस्यीय चयन समिति ने इस पद के लिए मंज़ूरी दी. जायसवाल दो साल के लिए सीबीआई निदेशक रहेंगे.
नए सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में सीआईएसएफ के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, एसएसबी के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी शामिल हैं. मोदी सरकार को रिटायर होने के क़रीब पहुंचे बीएसएफ प्रमुख राकेश अस्थाना और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी को इस सूची से बाहर करना पड़ा है.
साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और उस समय विशेष निदेशक के पद पर तैनात राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर हुए विवाद के बाद दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था.
वीडियो: सीबीआई के पूर्व निदेशक और कार्यरत आईपीएस अधिकारी एम. नागेश्वर राव ने दावा किया कि ‘खूनी इस्लामिक आक्रमण/शासन’ के बारे में लीपापोती कर भारतीय इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुई है. इस बारे में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
सीबीआई के पूर्व निदेशक एम. नागेश्वर राव ने पिछले हफ्ते स्वतंत्रता सेनानी मौलाना आज़ाद और जाने-माने मुस्लिम शिक्षाविदों पर इतिहास के साथ छेड़छोड़ का आरोप लगाया था. सीपीएम का कहना है कि राव के शब्द, भाषा, आशय और उद्देश्य दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाएंगे.
सीबीआई के पूर्व निदेशक एम. नागेश्वर राव अग्नि सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड के महानिदेशक हैं. बीते शनिवार उन्होंने ट्विटर पर कहा कि आज़ादी के बाद के 30 सालों में सरकार ने लेफ्ट और अल्पसंख्यकों के हित वाले स्कॉलर और अकादमिक जगत के लोगों को बढ़ने दिया और हिंदू राष्ट्रवादी शिक्षाविदों को साइडलाइन किया गया.