किसान आंदोलन: ‘मन की बात तो ठीक है, लेकिन क़ानून बनाने में मनमानी नहीं चलेगी’

केंद्र के विवादित तीन कृषि क़ानूनों के प्रभाव की जानकारी देने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का क़ानून बनवाने की मांग को लेकर बीते 23 और 24 जनवरी को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर स्थित गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में किसान संसद का आयोजन किया गया था.

कृषि क़ानून: जिस संगठन के प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट की समिति में चुना गया, उससे जुड़े रहे हैं सीजेआई बोबडे

वकील के तौर पर काम करने के दौरान जस्टिस एसए बोबडे शेतकारी संगठन से जुड़े थे, जिसके प्रमुख अनिल घनवट कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बात करने के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की समिति में हैं. घनवट बोबडे के संगठन से अलग होने के बाद उभरे, पर वरिष्ठ किसान नेताओं ने उनके चयन पर सवाल उठाए हैं.

यदि ट्रैक्टर परेड में कोई बाधा उत्पन्न की जाती है तो सड़क जाम करें: राकेश टिकैत

कृषि क़ानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का आह्वान किया है. उत्तर प्रदेश से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि प्रशासन ने पेट्रोल पंपों को निर्देश दिया है कि परेड में शामिल हो रहे किसानों के ट्रैक्टरों के लिए तेल न दें.

सरकार को किसानों की चिंताओं का शोषण करने का अधिकार नहीं: आत्महत्या कर चुके किसानों की पत्नियां

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आत्महत्या कर चुके किसानों की पत्नियों का एक दल कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली में तकरीबन दो महीने से ​प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने यहां पहुंचा है.

दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की किसानों को दी अनुमति

यह अनुमति इस शर्त के साथ मिली है कि किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी के राजपथ पर निकलने वाली आधिकारिक परेड के बाद ही वे ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. परेड में दो लाख से अधिक ट्रैक्टरों के भाग लेने की उम्मीद है.

बुंदेलखंड: 625 करोड़ रुपये की मंडियां, फिर भी किसान बदहाल क्यों?

वीडियो: उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के सात ज़िलों में किसानों को कृषि बाज़ार मुहैया करवाने के उद्देश्य से 625.33 करोड़ रुपये ख़र्च कर ज़िला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर कुल 138 मंडियां बनाई गई थीं. आज अधिकतर मंडियों में कोई ख़रीद-बिक्री नहीं होती, परिसरों में जंग लगे ताले लटक रहे हैं और स्थानीय किसान परेशान हैं.

सेना में एडल्ट्री क़ानून को जारी रखने की मांग क्यों हो रही है?

वीडियो: देश में व्यभिचार यानी एडल्ट्री को जुर्म की श्रेणी से हटाए जाने के तीन साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सेना में एडल्ट्री को जुर्म ही रहने दिया जाए. सरकार का कहना है कि इससे सेना में अनुशासन के पालन पर असर पड़ता है.

सिंघु बॉर्डर पर पकड़ा गया युवक, हिंसा भड़काने व किसान नेताओं की हत्या की साज़िश का दावा किया

शुक्रवार रात सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने एक युवक को पकड़ा, जिसने दावा किया कि दो लड़कियों सहित कुल दस लोगों को आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़काने का काम दिया गया था. युवक ने यह भी कहा कि चार किसान नेताओं की हत्या की साज़िश रची गई है.

कृषि क़ानून: सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की बातचीत में भी नहीं निकला कोई समाधान

पिछले कई दौर की बातचीत के विपरीतइस बार अगली बैठक की कोई तारीख़ तय नहीं हुई है. केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में लगभग दो महीने से हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि संबंधित क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में हैं.

किसान आंदोलन: किसान संगठनों ने डेढ़ साल तक कृषि क़ानून स्थगित रखने का प्रस्ताव ठुकराया

किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के 18 महीनों के लिए कृषि क़ानून स्थगित रखने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने और एमएसपी के लिए क़ानून बनाने की मुख्य मांगें दोहराई हैं. शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है.

ग़ैर क़ानूनी आधार पर कृषि मंत्रालय ने कृषि क़ानूनों के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से इनकार किया

विशेष रिपोर्ट: नए कृषि क़ानूनों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने कहा था कि इसे काफ़ी विचार-विमर्श के बाद बनाया गया है. आरटीआई के तहत इससे जुड़े दस्तावेज़ मांगे जाने पर कृषि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में मामले के विचाराधीन होने का हवाला देते हुए इससे इनकार किया. आरटीआई एक्ट में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है.

ट्रैक्टर रैली: पुलिस और किसान संगठनों के बीच बैठक बेनतीजा रही

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ क़रीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का आह्वान किया है. दिल्ली पुलिस चाहती है कि यह रैली दिल्ली के बाहर हो.

मज़दूर संगठनों ने सरकार से चार श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन पर रोकने की मांग की

केंद्र सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे रहा है. दस केंद्रीय मज़दूर संगठनों की संयुक्त मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सभी चार संहिताओं को रोक दिया जाना चाहिए और फिर इन श्रम संहिताओं पर केंद्रीय मज़दूर संगठनों के साथ सच्ची भावना से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने आधार फ़ैसले की समीक्षा की याचिकाएं ख़ारिज कीं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति जताई

सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.

किसान संगठन कृषि क़ानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित रखने के प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार

सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए निलंबित रखने और किसान संगठनों तथा सरकार के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने भी प्रस्ताव रखा. किसान संगठनों ने प्रस्ताव पर चर्चा करने पर सहमति जताई है.

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