अगर कृषि क़ानून किसानों के हित में है, तो किसान संगठन इसके पक्ष में क्यों नहीं हैं?

किसानों का सरकार से सवाल है कि क्या उनकी तरफ़ से ऐसा कोई क़ानून बनाने की मांग उठी थी और उनसे इस बारे में सलाह क्यों नहीं ली गई? किसानों का आरोप है कि सरकार इसके ज़रिये न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं मंडियों की स्थापित व्यवस्था को ख़त्म करना चाह रही है. किसान एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.

किसान सही बोल रहे हैं या सत्ताधारी और टीवी चैनल!

मीडिया बोल: कृषि क़ानूनों का विरोध में किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का अभियान तेज हो गया है. तमाम न्यूज़ चैनल किसानों के पीछे कभी विदेशी तो कभी खालिस्तानी और कभी विपक्ष हाथ बता रहे हैं. इस मुद्दे पर पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र कार्यकर्ता रमन प्रीत सिंह और पंजाब के स्वतंत्र पत्रकार शिव इंदर सिंह से उर्मिलेश की बातचीत.

किसान आंदोलन: कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा, उनका देश शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के साथ खड़ा रहेगा

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन का समर्थन किया था, जिसे भारत ने देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताने के साथ कनाडाई राजदूत को तलब कर इससे दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचने की चेतावनी दी थी.

किसानों के साथ सरकार की बातचीत बेनतीजा, आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान

किसान नेताओं ने ​कहा कि यदि केंद्र सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है तो वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे. उनका कहना है कि पांच दिसंबर को देश भर में प्रधानमंत्री का पुतला फूंका जाएगा. तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते 26 नवंबर से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

यह समय है जब ग़ैर-कृषि वर्ग को किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए: पी. साईनाथ

कृषि मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि सरकार समझ रही थी कि यदि वो इस समय ये क़ानून लाती है तो मज़दूर और किसान संगठित नहीं हो पाएंगे और न विरोध कर पाएंगे, लेकिन उनका यह आकलन ग़लत साबित हुआ है.

किसान आंदोलन: एक और किसान की मौत के साथ अब तक कम से कम छह लोगों की जान गई

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ पिछले नौ दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

किसान आंदोलन: ‘अगर हमें यहां दो महीने भी बैठना पड़े तो हम बैठेंगे’

वीडियो: केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बीते नौ दिनों से किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत.

किसान आंदोलन: ‘ये क़ानून किसानों की सहमति के बिना बना है’

वीडियो: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानून के विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों से द वायर के शेखर तिवारी की बातचीत.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, देश भर के थानों और जांच एजेंसियों के दफ़्तरों में सीसीटीवी कैमरा लगाएं

सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में यातना से संबंधी मामले में अपने एक पुराने आदेश का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को सीबीआई, ईडी और एनआईए समेत सभी केंद्रीय एजेंसियों और पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश देते हुए इसके लिए केंद्र और राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाने को कहा है.

नगालैंड: राज्यपाल आरएन रवि ने एनएससीएन-आईएम की अलग झंडे और संविधान की मांग को नकारा

अक्टूबर में नगालैंड के सबसे प्रभावशाली नगा संगठन एनएससीएन-आईएम के प्रमुख ने कहा था कि भारत सरकार के साथ चल रही शांति वार्ता में उनका संगठन अलग झंडे और संविधान की मांग पर कोई समझौता नहीं करेगा.

‘अगर हम किसान नहीं, तो वो भी नेता नहीं हैं’

वीडियो: केंद्र सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले सात दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. शेखर तिवारी की किसानों से बातचीत.

पहले सीएए अब किसान आंदोलन को बदनाम कर रही है भाजपा

वीडियो: केंद्र सरकार के विवादित नए कृषि क़ानूनों को लेकर हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

गुजरात कोविड अस्पताल आग: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य को तथ्यों को दबाना नहीं चाहिए

बीते 26 नवंबर को गुजरात के राजकोट में कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से पांच मरीजों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे. 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी थी.

किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली में दूसरे राज्यों से आने वाले फल-सब्ज़ियों की आपूर्ति प्रभावित

आजादपुर में कृषि उत्पाद विपणन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर मार्ग बाधित होने के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से सब्ज़ियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है. आम दिनों में दूसरे राज्यों से क़रीब 2500 ट्रक आते हैं. अब यह संख्या घटकर 1,000 रह गई है.

किसानों के ‘दिल्ली चलो मार्च’ के दौरान कम से कम तीन लोगों की मौत

मृतकों में से दो किसान और एक वाहन मैकेनिक थे. किसान संगठनों ने मृतकों के परिजनों को नौकरी और मुआवज़ा देने की मांग की है. पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों से आए किसान केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

1 45 46 47 48 49 77