केंद्र सरकार साल 2014 से अब तक ग्रीनपीस, फोर्ड फाउंडेशन और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन समेत 16 हज़ार से अधिक एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर चुकी है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों ने भारत में अपने कंटेंट के नियमन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, हालांकि अमेजन के प्राइम वीडियो ने इसे मानने से इनकार किया है. अमेजन का कहना है कि वर्तमान नियम पर्याप्त हैं.
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण द्वारा लोकपाल के लिए प्रस्तावित नामों की सूची को वेबसाइट पर डालने की मांग को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया खारिज. कहा, मामले में हो रही प्रगति को सकारात्मक नजरिए से देखें.
आरटीआई आवेदन के तहत मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कुल 2,62,48,463 रुपये और प्रिंट मीडिया में 1,68,415 रुपये विज्ञापनों पर ख़र्च किया.
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि उर्जित पटेल द्वारा इस्तीफा एक गंभीर चिंता का विषय है. पूरे देश को इसे लेकर चिंतित होना चाहिए.
पिछले कुछ समय से केंद्र की मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच गतिरोध जारी था. उर्जित पटेल ने इस्तीफे का कारण निजी बताया है.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, नगालैंड और मेघालय के प्रमुख समाचार.
आफ्स्पा सैन्य बलों को शांति के लिए ख़तरा माने जाने वालों पर गोली चलाने की आज़ादी देता है, लेकिन यह उन्हें फ़र्ज़ी मुठभेड़ या दूसरी तरह के अत्याचार करने का अधिकार प्रदान नहीं करता.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में उर्जित पटेल ने सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा-7 का पहली बार इस्तेमाल करना और रिज़र्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों पर कोई जवाब नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले एनजेएसी क़ानून, 2014 को असंवैधानिक और अमान्य घोषित किया था.
मणिपुर और जम्मू कश्मीर में सशस्त्र कार्रवाई में शामिल सैनिकों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए 300 से अधिक सैन्यकर्मियों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.
भारतीय रिज़र्व बैंक की निधियां राष्ट्र की सामाजिक संपत्ति हैं और जनहित का हवाला देकर मनमाने ढंग से उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
पुलिसकर्मियों ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पीठ ने कुछ आरोपियों को पहले ही अपनी टिप्पणी में ‘हत्यारा’ बताया था. कोर्ट ने कहा कि एसआईटी द्वारा इन मामलों में की जा रही जांच पर संदेह का कोई कारण नहीं है.
प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा विनिमय धोखाधड़ी के एक मामले में मानवाधिकार निगरानी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के दो ठिकानों पर छापा मारा था.
क्या सैनिकों के ऐसे क़दम को सर्वोच्च अदालत के फैसले की जानबूझकर अवज्ञा माना जाए या आर्मी एक्ट के बुनियादी उसूलों का उल्लंघन? ये याचिकाएं भले राजनीतिक रूप से प्रेरित न हों, लेकिन ग़लत मशविरे का परिणाम लगती हैं. साथ ही यह उस ‘अनुशासन’ के ख़िलाफ़ हैं, जिसका प्रतिनिधित्व भारतीय सेना करती है.