देश के विश्वविद्यालय ख़ासकर केंद्रीय विश्वविद्यालय एक प्रकार से केंद्र सरकार के ‘विस्तारित कार्यालय’ में तब्दील कर दिए गए हैं. कोई भी अकादमिक विभाग बिना प्रशासन की ‘छन्नी’ से गुजरे किसी भी प्रकार का आयोजन नहीं कर सकता.
विश्वभारती की तीन शोध छात्राओं और एक स्नातकोत्तर छात्रा ने मानवविज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि उन्होंने मार्च 2021 से अधिकारियों के पास लगभग 20 शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि आरोप की जांच चल रही है.
डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.
वीडियो: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्र सरकार के पास शिकायत दर्ज कराई है कि पिछले 3 सालों में मेडिकल के ओबीसी की लगभग 11,000 सीटों को सामान्य वर्ग के लोगों को दे दिया जा रहा है. 2017 के बाद से राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) के लिए ओबीसी को अनिवार्य 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. इस बीच बीते 13 जुलाई को सरकार ने नीट का नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों
जेएनयू में एबीवीपी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिल्ली से भाजपा के सांसद हंसराज हंस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए काफी कुछ किया है और उनके काम के कारण ही मैंने कहा कि जेएनयू का नाम बदलकर 'मोदी नरेंद्र यूनिवर्सिटी' रखा जाना चाहिए.
मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की. वे भाजपा के एसपी सिंह बघेल की टिप्पणी का जवाब दे रहे थे, जिन्होंने कहा था कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंध्र प्रदेश में जो जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित होने जा रहा है, वो दूसरा जेएनयू न बन पाए.
यूजीसी की एक समिति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का दौरा कर अपनी आॅडिट रिपोर्ट में कहा है कि यह विश्वविद्यालय ‘अलाभकारी’ और ‘अप्रभावी’ साबित होने के कगार पर पहुंच चुका है.