छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में सोमवार को भीड़ ने कथित तौर पर धर्मांतरण के आरोप में एक चर्च पर हमला कर दिया और मामले को शांत कराने आई एक पुलिस टीम के साथ भी हिंसा की, जिसमें ज़िला पुलिस अधीक्षक के सिर में चोट आई है और अन्य कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.
मामला सुकमा ज़िले का है. बताया गया कि पुलिस ने जुलाई 2021 में मिनपा गांव से 42 वर्षीय पोड़ियाम भीमा को नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया था. ग़लत पहचान का मामला तब सामने आया जब पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज इसी नाम के नक्सली ने मार्च 2022 में अपने छह साथियों के साथ दंतेवाड़ा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने मामले के जांच अधिकारी और दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
बीजापुर ज़िले के धुर नक्सल प्रभावित बेचापाल में 30 नवंबर से ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध में धरने पर बैठे हैं. उनका कहना है कि उन्हें स्कूल, अस्पताल तो चाहिए लेकिन कैंप और पक्की सड़क नहीं. उनका दावा है कि यदि रोड बनती है तो फोर्स गांवों में घुसेगी, लोगों को परेशान किया जाएगा. झूठे नक्सल प्रकरण में जेल में डाला जाएगा.
राज्य में नक्सल मोर्चे पर तैनात सहायक आरक्षकों के परिवारों ने पदोन्नति, वेतन वृद्धि जैसी कई मांगों के साथ इस हफ्ते रायपुर में प्रदर्शन किया था, जिसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे. यहां उनके साथ हुए कथित दुर्व्यवहार के बाद बीजापुर में हज़ारों सहायक आरक्षक अपने हथियार जमा करवाकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कथित पूर्व नक्सलियों के लिए बनाए गए डिटेंशन कैंप ‘शांति कुंज’ का अस्तित्व क़ानूनी दायरों से परे है.