शीर्ष अदालत ने देश की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों और आयोगों को निर्देश दिया कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार न करें.
न्यायमूर्ति कर्णन ने दावा किया है कि सात न्यायाधीशों की पीठ ने बेवजह और जानबूझकर एवं दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनका अपमान किया.