कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बाल साहित्य का परिसर कौतूहल रहस्य, जिज्ञासा, सहज सुषमा, आश्चर्य, अप्रत्याशित आदि मनोभावों से समृद्ध होता है. हम एक तरह की अबोधता के अंचल में दाखिल होते हैं जो हमें अपने कई अपरीक्षित, पर गहरे धंसे पूर्वाग्रहों से मुक्त करता है.