महिला दिवस विशेष: साहित्य में स्त्री दृष्टि निजी मुक्ति का नहीं बल्कि सामूहिक मुक्ति का आख्यान रचती है, इसीलिए ज़्यादा समावेशी है और अपने वृत्त में पूरी मानवता को समेट लेती है.
साहित्य सम्मेलनों में फिल्मी हस्तियों की भरमार पर मशहूर कथाकार चित्रा मुद्गल नाराज़.