फिल्मकारों ने कहा है कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन के केंद्र के प्रस्ताव से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक असहमति के ख़तरे में पड़ने की आशंका है. बीते अप्रैल में सरकार ने फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण को ख़त्म करने का फैसला किया था. यह न्यायाधिकरण केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सुझाए गए कटौती से पीड़ित फिल्म निर्माताओं की अपील सुनने के लिए गठित एक वैधानिक निकाय थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर उन फिल्मों के संबंध में दोबारा समीक्षा की शक्तियों के प्रयोग पर रोक लगाई हुई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरक़रार रखा है. केंद्र सरकार ने मसौदा सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2021 पर दो जुलाई तक जनता की राय मांगी है. विधेयक में फिल्मों की पायरेसी पर जेल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान भी प्रस्तावित है.