विपक्षी दलों ने पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से कुछ भारतीय नागरिकों की जासूसी और सर्विलांस के प्रयास के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति गठित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि जांच से केंद्र सरकार की ओर से किया गया क़ानूनों के उल्लंघन का सच सामने आ जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस आदेश को 'अंधेरे में रोशनी की किरण' बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने समिति का गठन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में निजता का हनन नहीं हो सकता. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा उचित हलफ़नामा दायर न करने को लेकर गहरी नाराज़गी जताई और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा होने का दावा करना पर्याप्त नहीं है, इसे साबित भी करना होता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को पेगासस जासूसी मामले में सात बिंदुओं पर जांच करने और सात बिंदुओं पर महत्वपूर्ण सिफ़ारिश करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने मात्र से न्यायालय मूक दर्शक बना नहीं रह सकता है.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 में जिन भारतीय नंबरों को वॉट्सऐप ने हैकिंग को लेकर चेताया था, वे उसी अवधि में में चुने गए थे जब वॉट्सऐप के मुताबिक़ पेगासस स्पायवेयर ने इस मैसेजिंग ऐप की कमज़ोरियों का फायदा उठाते हुए उसके यूज़र्स को निशाना बनाया था.