पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगना कलीता को दिल्ली दंगा संबंधी मामले में गिरफ़्तार किया गया था. दंगों से संबंधित तीन मामलों में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. कलीता के ख़िलाफ़ गै़रक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है.
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद आरोप लगाया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनके ख़िलाफ़ विद्वेषपूर्ण मीडिया अभियान चलाया गया. याचिका में दावा किया गया है कि मीडिया रिपोर्टों में उनके एक कथित बयान से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने दंगों में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है. यह निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार के प्रति पूर्वाग्रह है.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामलों में गैर क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत मुकदमे का सामना कर रहे कई आरोपियों ने दावा किया कि आदेश के बावजूद जेल में उन्हें आरोप-पत्र तक पहुंच नहीं दी गई. कुछ आरोपियों ने दावा किया कि इसे पढ़ने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया.
गुवाहाटी में एक रिक्शा चालक को उनकी पत्नी और बच्चों सहित जून 2019 में अवैध विदेशी बताते हुए डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था. एक मानवाधिकार वकील की अर्ज़ी पर हाईकोर्ट ने इस आदेश को ख़ारिज करते हुए मामले की फिर सुनवाई करने को कहा, जिसके बाद दोनों को भारतीय घोषित किया गया है.
इस साल फरवरी में दिल्ली में सीएए के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में हो रहे प्रदर्शन के दौरान कपिल गुज्जर ने हवा में फायरिंग की थी. बुधवार को कपिल ग़ाज़ियाबाद में भाजपा में शामिल हुए थे. बाद में पार्टी ने उनकी सदस्यता निरस्त करते हुए कहा कि उसे कपिल के फायरिंग के मामले से जुड़े होने की जानकारी नहीं थी.
आरोप है कि शरजील इमाम ने उत्तर-पूर्व को भारत से काट देने का उकसावा देते हुए भाषण दिए थे. उन्होंने इतना ही किया था कि सरकार पर दबाव डालने के लिए रास्ता जाम करने की बात कही थी. किसान अभी चारों तरफ़ से दिल्ली का रास्ता बंद करने की बात कह रहे हैं, जिससे सरकार पर दबाव बढ़े और वह अपना अड़ियलपन छोड़े. क्या इसे आतंकवादी कार्रवाई कहा जाएगा?
वीडियो: सीएए, एनआरसी और लव जिहाद को लेकर मुस्लिम विरोध की राजनीति पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में भी 19 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने प्रदर्शन किया था. हिंसक प्रदर्शनों से प्रदेश भर में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इसके ख़िलाफ़ लखनऊ के घंटाघर (हुसैनाबाद) में महिलाओं ने धरना शुरू कर दिया. उनसे बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 17 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत को रद्द करने और उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. इस फ़ैसले पर डॉ. कफ़ील ने द वायर से बातचीत की.
वीडियो: भारत सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध 11 दिसंबर 2019 से दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से शुरू हुआ था. इस क़ानून के पारित किए जाने और उसके विरोध के एक वर्ष पूरे होने पर आंदोलन की प्रासंगिकता और महत्व पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद का नज़रिया.
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए डॉ. कफ़ील ख़ान की हिरासत रद्द कर उन्हें तत्काल रिहा किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसे सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व नेता उमर ख़ालिद को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में बीते सितंबर महीने में गिरफ़्तार किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन दिन से दांत दर्द की शिकायत के बाद भी तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोई इलाज मुहैया नहीं कराया है.
वीडियो: बीते साल 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र-छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान हुई झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. वहीं, एक छात्र की एक आंख की रोशनी चली गई थी.
बीते साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में घुसकर लाठीचार्ज किया था, जिसमें क़रीब 100 लोग घायल हुए थे. वहीं, एक छात्र की एक आंख की रोशनी चली गई थी.
साल हुआ, संसद ने एक झूठ पर मुहर लगाई. एक साल झूठ का, धोखाधड़ी, क्रूरता और हिंसा का. एक साल सच्चाई का, ईमानदारी, सद्भाव और अहिंसा का.