क्या मोदी सरकार की सांप्रदायिक राजनीति का शिकार हुईं एनसीईआरटी की किताबें?

वीडियो: एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव पर इतिहासकारों से लेकर राजनीतिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भारत के विचार से उलट भाजपा के विचार के ज़्यादा क़रीब लगता है. इस तरह की काट-छांट से शिक्षा प्रणाली से लेकर लोकतंत्र पर क्या असर पड़ता है?

250 के क़रीब इतिहासकारों ने एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों से सामग्री हटाने की आलोचना की

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने के विरोध में जारी बयान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने कहा है कि चुनिंदा तरह से सामग्री हटाना शैक्षणिक सरोकारों पर विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिए जाने को दिखाता है.

पाठ्यपुस्तकों से हटाई गई गांधी, आरएसएस संबंधी सामग्री के बारे में न बताना ‘चूक’: एनसीईआरटी

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से महात्मा गांधी और आरएसएस संबंधी टेक्स्ट हटाए जाने की बात को पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों की आधिकारिक सूची में न रखने की ख़बर सामने आने के बाद एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा है कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया. इसका राई का पहाड़ नहीं बनाया जाना चाहिए.

मुग़लों का इतिहास न पढ़ाने के फैसले के पीछे कौन-सी समझदारी है?

मुग़लों का इतिहास तो पढ़ाए न जाने के बावजूद इतिहास ही रहेगा- न बदलेगा, न मिटेगा. लेकिन छात्र उससे वाक़िफ़ नहीं हो पाएंगे और उनका इतिहास ज्ञान अधूरा व कच्चा रह जाएगा. 

सीबीएसई और यूपी बोर्ड में 12वीं की इतिहास की किताबों से मुग़ल संबंधी अध्याय हटाए गए

स्कूली शिक्षा पर केंद्र और राज्य की शीर्ष सलाहकार संस्था एनसीईआरटी ने इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है और सीबीएसई की 12वीं कक्षा की मध्यकालीन इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स’ और ‘द मुग़ल कोर्ट्स’ पर आधारित अध्यायों को हटा दिया है.