9 नवंबर, 2024 को ‘कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ (सीसीजी) ने दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया था, जिसमें राजनीतिक क़ैदियों के अधिकार, यूएपीए और पीएमएलए और केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और न्यायपालिका की भूमिका पर चर्चा की गई.
असम पुलिस ने कछार ज़िले में 16 जुलाई को एक मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. हालांकि, परिजनों और सामाजिक संगठनों ने इसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ करार दिया था.
मणिपुर ट्राइबल फोरम (दिल्ली) और मणिपुर विधानसभा की हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष हो रही कार्यवाही को हिंसा को बढ़ावा देने के मंच के रूप में इस्तेमाल न किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि इसे विरोधात्मक मामले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है. हम इस पर सुनवाई करेंगे. केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किए जाएं, जिन पर चार सप्ताह में जवाब दिया जाए.
बीते 27 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेताओं व अन्य के नफरती भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई को 13 अप्रैल तक स्थगित कर दिया था.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरती भाषणों के लिए नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली एक याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले को सुनने की बात कही.