आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की 2018 में हुई एक कॉलेजियम की बैठक का विवरण मांगने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली कुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं की जानी चाहिए जो ‘दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हों.’
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी राजनेता की प्रशंसा करते हैं तो वे अधीनस्थ अदालतों को क्या संदेश देते हैं? इसका केवल यही संदेह होता है, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मामले तय न करें. कार्यपालिका के पक्ष में जाने के लिए जज क़ानून के परे जा चुके हैं.
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने यह भी कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति में देरी नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी मामले की सुनवाई से हटने के संबंध में जज को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है.