देश के 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि देश में नफ़रत से भरी तबाही का उन्माद सिर्फ अल्पसंख्यकों को ही नहीं बल्कि संविधान को भी निशाना बना रहा है.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका ख़ारिज करते हुए कहा, 'आप चाहते हैं कि जांच की अगुआई पूर्व चीफ जस्टिस करें? क्या कोई फ्री है? पता करिए, यह कैसी राहत है. ऐसी राहत मत मांगिए जो इस अदालत द्वारा दी नहीं जा सके.'
मुंबई के संगठन बेबाक कलेक्टिव ने हालिया सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के मद्देनज़र कहा कि इन्हें धार्मिक सहअस्तित्व की प्रथा को मिटानेकी कोशिशों के व्यापक पैटर्न के रूप में देखे जाने की ज़रूरत है. ये सांप्रदायिक दंगे आरएसएस और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठनों की सामाजिक नफ़रत का प्रमाण हैं.
आणंद ज़िला कलेक्टर ने बताया कि अवैध कब्ज़े और अवैध निर्माण सहित सड़कों के किनारे खड़ी झाड़ियों पर भी बुलडोज़र चलवाया जा रहा है क्योंकि रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद बदमाश इन्हीं झाड़ियों में छुप रहे थे. कांग्रेस ने इस अभियान को असंवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया.
गुजरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी. एक दिन बाद फिर दो समुदायों के लोगों ने एक दूसरे पर पथराव किया. हिंसा को लेकर तीन मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं, झारखंड के लोहरदगा ज़िले में रामनवमी के अवसर पर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है.
गुजरात के हिम्मतनगर और खंभात शहरों में रविवार को रामनवमी के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक झड़प हो गई. मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में जुलूस पर पथराव, कुछ वाहनों और घरों में आगजनी की घटनाओं के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया. झारखंड के लोहरदगा ज़िले में पथराव और हमले में दर्जनों लोग घायल हो गए हैं और बंगाल में भी हावड़ा के शिबपुर इलाके में झड़प की ख़बर है.
फैक्ट चेक: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाओं के बाद से त्रिपुरा में बीते कुछ दिनों से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच भगवा झंडा लिए लोगों के समूह में शामिल जय श्री राम का नारा लगा रहे एक पुलिसकर्मी के वीडियो को सोशल मीडिया पर साझाकर यह अफ़वाह उड़ाई जा रही है कि त्रिपुरा पुलिस मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए हिंदुओं की भीड़ की मदद कर रही है. हालांकि
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के शुरुआती 10 महीने में तकरीबन 160 लोग रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए. इनमें शामिल पीड़ित मुस्लिम परिवारों का कहना है कि सांप्रदायिक कारणों से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.