यौन संबंधों में नहीं का मतलब नहीं, बेशक पूर्व में हां क्यों न कहा होः हाईकोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि न का मतलब न है, फिर बेशक शुरुआत में हामी क्यों न रही हो. सहमति नहीं होना पूर्व में दी गई सहमति को ख़त्म कर देता है. जबरन यौन संबंध असहमति से बने संबंध कहलाएंगे, जो आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दंडात्मक है.

समर्पण को सहमतिपूर्ण यौन संबंध नहीं माना जा सकता: केरल हाईकोर्ट

साल 2009 में अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की से हुए बलात्कार के आरोप में निचली अदालत ने एक बुज़ुर्ग को दोषी ठहराया था. इस व्यक्ति ने इस फ़ैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए यह कहा कि उसने सहमति से यौन संबंध बनाए थे.

अगर लिव-इन पार्टनर शादी न कर सके, तब भी सहमति से बना शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बलात्कार और सहमति से बनाए गए यौन संबंध के बीच स्पष्ट अंतर होता है. अगर व्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की किन्हीं परिस्थितियों के चलते महिला से शादी नहीं कर पाता, तो उसे बलात्कार नहीं मान सकते.