राष्ट्रपति ने बीते मानवाधिकार दिवस पर पूरे जीव जगत और उनके निवास स्थान का सम्मान करने की बात कही थी. कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 87 पूर्व सिविल सेवकों ने उन्हें इस कथन की याद दिलाते हुए लिखा है कि आपके ऐसा कहने के बाद भी सरकार देश के प्राचीनतम प्राकृतिक आवासों में से एक को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
कॉन्सटिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े देश के 72 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को लगातार हिरासत में रखने और उनकी निजी स्वतंत्रता के हनन पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि क़ानून के समक्ष समानता के संवैधानिक सिद्धांत के समर्थक के रूप में नुपुर शर्मा और मोहम्मद जुबैर के बीच भेदभावपूर्ण व्यवहार को देखना बहुत परेशान करने वाला है.
पूर्व नौकरशाहों के कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक खुले पत्र में कहा कि अब समस्या केवल स्थानीय स्तर पर पुलिस और प्रशासन की ‘ज़्यादतियों’ की नहीं है बल्कि तथ्य यह है कि क़ानून के शासन, उचित प्रक्रिया और ‘दोषी साबित न होने तक निर्दोष माने जाने’ के विचार को बदला जा रहा है.
सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों के समूह-कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने एक बयान जारी कर कहा है कि यूएपीए के तहत ‘ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों’ के अपराधीकरण को बनाए रखते हुए आईपीसी की धारा 124ए यानी राजद्रोह को हटाने से केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ पार्टी को पर्याप्त राजनीतिक लाभ मिलेगा.