शीर्ष अदालत ने कहा कि वसीयत के बिना किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उनकी बेटी उनके द्वारा स्व-अर्जित या पारिवारिक विभाजन में मिली संपत्ति में अपने अन्य संबंधियों (जैसे मृत पिता के भाइयों के बेटे/बेटियों) के साथ वरीयता में उत्तराधिकारी होने की हक़दार होगी.